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________________ ववेय-वहण २५६ ७.१५. नं० ७८. जोनं ६. अ० १४,३५.५८, नि० ११४;३।१८,२४,३०,३८,३६,५२,६१; ८२,१०७,११३ से १२०,१२२ से १३०,१५७ ४।५६,६२,६६,७६,७७,६०,६६; ६१५,१७,२७, से १६४,१६६ से १७४,१९८ से २०५,२०७ ३३,३६,४७,४८,६१,७०, ७।१६,२२,२८,३६, से २०९,२११ से २१३,२१५,५५५ से ५५७, ३७,५०,५६; ११।१३.१६,२५,३३,३४,४७, ५६४,५६८,६०६,६२४,६३६,६४८,६७४, ५६; १३।३८; १५।१५,२१,२७,३५,३६,४६, ७०१,७१५. क० ५।४०. व. २।६ से १७, ५८,१०१.१०७.११३,१२१,१२२,१३५,१४४; २४,२५; १०१६,२७ १७।१७,२३,२६ ३७,३८,५१,६०,७१,७७,८३. ववेय (व्यपेत) दचू० १११२ ६१,६२,१०५ वस (वश) द० २११; १०.१ उ०६।३२; १४।४२. वसाणुग (वशानुग) उ० १३३५ अ० ५५५. दसा० १०॥४,६,७,१०,११. प०५ वसाणय (वशानुग) द० २६ से ७,१०,१५.३६,३८,३६४१,४३,४४,४७, वसिटु (वशिष्ठ) प० ११६ ४८,५०,५६,६३,६६ वसित्ता (उषित्वा) प० १०६ वस (वस)-वसइ अ० ५५६. व० ११२०. प० वसीव य (वशीकृत) उ०६.५६ १६५.--वसति दसा० ७८. क० २।४. नि. वसीक रणसुत्तय (बशीकरणसूत्रक) नि० ३१७०; २॥३६.-वससि अ० ५५६.-वसामि अ० ५५६. उ०१८।२६. क० २।४ .-वसामो उ०। वसु (वसु) अ० ३४२ ६।१४.-वसाहि व० ११२०. दसा० १०.१८. वसुंधरा (वसुन्धरा) प० ७८ प०७४.-वसे उ०११।१४.-वसेज्जा वसुदेव (वसुदेव) उ० २२।१ द० २६ वसुल (दे०) द० ७.१४,१६ वसंत (वसत्) दचू० १ सू० १. अनं० २४. वसुला (दे०) द० ७।१६ नि० २।३६, १४१४०,४१, १८७२,७३ वसुहा (वसुधा) उ० २०१६० वसंतय (वसन्तज) अ० ३३४ वसुहारा (वसुधारा) उ० १२॥३६. प० ६१,१६३ वस?मरण (वशार्तमरण) नि० १११६३ वस्त्र ( ) अ० ३५१ वसण (उप्पाडिय) (वषण, उत्पाटित) दसा० ६।३ वस्त्रपात्रम् ( ) अ० ३५१ वसण (व्यसन) अ० ५६६ वस्स (वश्य) उ० ३२।१०४ वसभ (वषम) नं० गा० ३८. अ० ५२२. दसा० वह (वघ) ६० ६।१०,४८,५७, ६।१,३१. चू० सू० १०।१५. प० २२,७८ १. उ० १११६,३८,२ सू० ३,७१७; वसभपुच्छितय (वृषभपुच्छितक) दसा० ६१३ ८७,८3१२।१४; १५॥३,१४; १६।३२; वसमाण (वसत्) अ० ५५६. ५० १६५. क० ११७, ३५२८. अ० ३१७. दसा०६।३ ६. व०६।२,३. नि० २।३८ वसह (वृषभ) उ० ११३१६. अ० ३५३ ५२५. प. वह (वह)-वहई द० ४।३६. उ० ३०३१ ४,१६,२०,३७,४६,४७,७३,७४१६२ प० २२२.-वहेइ उ. १८१५.--वहेह उ० वसहपोसय (वृषभपोषक) नि० ६।२३ १२।२७ वमहि (वसति) उ० १४।४८; ३२।१३. अ.. ५५४, वह (व्यथ)-वहिज्ज उ० २१११७.-वहिज्जइ __ ५५६. नि० १६।२,२२,३० उ० १५।१४.-वहेइ उ० १८।३ वसा (वसा) उ०१९७०. दसा० ६।५. क ० ५।३६. वहण (हनन) द० १०।४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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