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________________ २३४ महति-महाफल महति (महती) दसा० १०१२१,२४ महती (महतो) नि० १७११३८ महत्तर (महत्तर) दसा० १०।१२ महत्तरग (महत्तरक) दसा० १०॥३,६,२० महत्तरगत्त (महत्तरकत्व) दसा० १०११८. ५०६ महत्तरय (महत्तरक) दसा० १०१४,७३ महत्तरागार (महत्तराकार) आ० ६.३ से १० महत्य (महार्थ) उ० २३।८८. नं० गा० ४१ महप्प (महात्मन्) द० ८।३३. उ० १२।२२,३५; १६॥३३; २१११, २७।१७. नं० गा०२ महप्पसाय (महाप्रसाद) उ० १२॥३१ महब्बल (महाबल) दसा० १०॥२२,२३ महब्भय (महाभय) द. ६।४७; १०११४. उ० १९७२ महया (महत्) दसा० १०॥१७ से १६. प. महरिह (महाह) दसा० १०।११.५० ४२ महल्ल (महत्) द० ७।२६,३० महल्लग (महत्) द० ५।१२६; ६।५२ महल्लय (महत्) द० ७।२५ महल्लिया (महत्) व० ६।३६,४१ महल्लियाविमाणपविभत्ति (महद्विमानप्रविभक्ति) नं० ७८. जोनं० ६. व० १०॥३० महव्वय (महावत) आ० ४।३,८,९५२.द० ४ सू० ११ से १५; गा० १७; १०१५. उ० १६१०,२८,८८,२०१३६; २१११२; २३।८७. नं० गा० ७. क० ३।२५ महन्वयधर (महाव्रतधर) आ० ४६ महाकप्पसुय (महाकल्पश्रुत) नं० ७७. जोन० ८ महाकाय (महाकाय) द० ७।२३ महाकुल (महाकुल) नि० ८।६; १५३७५ महागर (महाकर) द० ६।१६ महागिरि (महागिरि) नं० गा० २५ महागिह (महागृह) नि० ८।६; १५३७५ महाजंत (महायन्त्र) उ० १९५३ महाजय (महाजय) उ० १२१४२ महाजस (महायशस) उ०१२।२३; १८१३६,४६; १९९७; २३।२६ महाजुद्ध (महायुद्ध) नि० १२।२८; १७।१५० महाणई (महानदी) नि० १२।४३ महाणससाला (महानसशाला) नि० ६७ महाणुभाग (महानुभाग) उ० १२।२३,३७; १३।११,२० महातलाय (महातडाग) उ० ३०१५ महादीव (महाद्वीप) उ० २३१६६ महादोस (महाजोष) उ० ३५।१५ महानई (महानदी) अ० ३९८. प० ३१. क० ४।२६ महानाग (महानाग) उ० १९८६ महानिज्जर (महानिर्जर) उ० २६।२०. व० १०॥४१ महानिमित्त (महानिमित्त) प० ४२ महानियंठ (महानिर्ग्रन्थ) उ० २०५१ महानियंठिज्ज (महानिर्ग्रन्थीय) उ० २०,२०१५३ महानिसीह (महानिशीथ) नं०७८. जोनं. ६ महानिहाण (महानिधान) प० ५१ महापइण्ण (महाप्रतिज्ञ) उ० २०१५३ महापउम (महापद्म) उ० १८०४१ महापच्चक्खाण (महाप्रत्याख्यान) नं० ७७. जोनं० ८ महापज्जवसाण (महापर्यवसान) उ० २६।२०. व० १०॥४१ महापण्ण (महाप्रज्ञ) उ० ३।१८, २१, २२।१५,१८ महापण्णवणा (महाप्रज्ञापना) नं० ७७. जोनं ८ महापरिग्गह (महापरिग्रह) दसा०६।३।१०।२४ से २८ महापह (महापथ) उ० १२२६; ५।१४. अ० ३६२. दसा० १०१६. प० ५१,५२ महापाडिवय (महाप्रतिपत्) नि० १६।१२ महापाण (महाप्राण) उ० १८.२८ महापाली (दे०) उ०१८।२८ महाफल (महाफल) द० ८।२७. दसा० १०।११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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