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________________ २३० मझमझ मण ५२६. दसा० ७१६६।२।११०।१८,२४. प० २०,२४,३५,४२,७४,१०६,११२,१२४, १२६,१३८,१६५,१८०. नि० ८।१०; ११३८६ से ६११४१३६; १८१७१; २०१६ से ५१ मझमझ (मध्यंमध्य) अ० ३६८. दसा० १०॥४, ___६,१७ से १६. ५०. १५,४३,४४,७५,११३, १२६,१६५. क. ११३२,३३ मज्भगत (मध्यगत) दसा० १०॥३५ मझगय (मध्यगत) नं० १०,१५,१६. प० २८८ मज्झच्छिन्न (मध्यछिन्न) दसा० ६।३ मज्झजीहा (मध्यजिहा) अ० २६६ मज्झत्थभाव भूत (मध्यस्थभावभूत) दसा० ४।२३ मझयार (दे०) अ० ३०७१३ मज्झिम (मध्यम) उ० २३१२६, ३६।५०. अ० ६५, २१८ से ३०१.५० १८३. व०१०।२०. नि० २।२६, १७११५१ मज्झिमउरिमगेवेज्जय (मध्यमउपरितनवेयज) अ० २५४ मज्झिमग (मध्यमक) उ० २३।२७. नं० ७६ मज्झिमगाम (मध्यमग्राम) अ० ३०३,३०५ मज्झिमगेवेज्जय (मध्यमवेयज) अ० २५४ मज्झिममज्झिमगेवेज्जय (मध्यममध्यमग्रंवेयज) अ० २५४ मझिमय (मध्यमक) उ० ३६।२५१. अ० ३७४ मज्झिमसर (मध्यमस्वर) अ० ३०२।४ मज्झिमसरमंत (मध्यमस्वरवत्) अ० ३०२।४ मज्झिमहेटिमगेवेज्जय (मध्यमअधस्तनIवेयज) अ० २५४ मज्झिमा (मध्यमा) प० ८३,८४,१०६,२०४ मज्झिमाउरिम (मध्यमउपरितन) उ० ३६।२१४ मज्झिमामज्झिम (मध्यममध्यम) उ०३६।२१४ मज्झिमाहेट्टिम (मध्यमअधस्तन) उ० ३६।२१३ मज्झिमिल्ल (मध्यम) अ० ३६०।२ मज्झिमिल्ला (माध्यमिको) प० २०२ मट्टिया (मृत्तिका) द० ५।३३. उ०५।१०३६।७२. नि० १७११२७; १८३१६ मट्टियाकड (मृत्तिकाकृत) नि० ७७१,१३४; १४२३; १६।४४; १८१५५ मट्टियाखाणि (मृत्तिकाखानि) नि० ३।७४ मट्टियापाय (मृत्तिकापात्र) नि० १२२६; २२४; ५६५ मट्टियामय (मृत्तिकामय) उ० २५४० मट्टी (मृत्तिका) आ० ४।४ मट्ठ (मृष्ट) अ० २१. प० २०,२२४. क० ११४३ मड (मृत) द० ७१४१. उ० १३६, ३४११६. प० ५४,५६ मडंब (मडम्ब) उ० ३०।१६. अ० ३२३,५५६ दसा० ७८; १०।१८. प० ५१. क० १६. व० ११३३; ४।६.१०. नि० ५।३४; १२।२०; १७.१४२ मडंबपह (मडम्बपथ) नि० १२।२३; १७३१४५ मडंबमह (मडम्बमह) नि० १२।२१, १७११४३ मडंबवह (मडम्बवध) नि० १२।२२; १७:१४४ मडग (मृतक) उ० ३४११६ मडगगिह (मृतकगृह) नि० ३१७२ मडगछारिया (मृतकक्षारिका) नि० ३।७२ मडगथंडिल (मृतकस्थण्डिल) नि० ३।७२ मडगथूभिया (मृतकस्तूपिका) नि० ३।७२ मडगलेण (मृतकलयन) नि० ३।७२ मडगवच्च (मृतकवर्चस्) नि० ३७२ मडगासय (मृतकाश्रय) नि० ३१७२ मड्डय (दे०) नि० १७११३६ मण (मनस्) आ० २२; ३।१४।१,५,६%3५१. द० १११; २।४; ४ सू०१० से १६; गा० १८ से २३; ५११२३; ६।२६,२६,४०,४३,८।३, १०,१६,२८, ६।१२; १०७; चू० १११५. उ० ११४३,४७; २।११,२६,४।११,१२; ६।११।८।१०।१२।२१,३२; १५।१२, १६।२; १८.२०; २२।२१; २३१५८,२४।२१, २०२५ ३०१११,३२।२१,८७,८८,१००३५४,१३, १८. नं०गा० २६; सू० २५. अ० २७,३१६, ३१८,७०८।६. दसा० १०१३३.५०२६,५४, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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