SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२८ मऊरपोसय-मक्खावेंत मऊरपोसय (मयूरपोषक) मि० ६।२३ २०१२२; ३६।२६४. नि० १३१२६ मंख (मल) अ० ८८. प० ६२ मंतपिंड (मन्त्रपिण्ड) मि० १३१७२ मंगल (मङ्गल) आ० ४।२. द० १११. उ० २२१६मंतसाला (मन्त्रशाला) नि० ८।१६ २६।४२. दसा० १०॥३,११,१२,१८,२२ से मंति (मन्त्रिन्) ५० ४२ २४. प० २२,२६,४२,४४,५८,६६. मंथु (मन्थ) द० २६८,१२४. उ० ८।१२ व० १०१२,४ मंद (मन्द) ६० ५।२; ६।२ से ४. उ० ८.७; मंगलय (मङ्गलक) दसा० १०।२४ १२।३६; १८१७; २९२३ मंगल्ल (माङ्गल्य) प० ४ से ६,१६,३६,३८,३६, मदर (मन्दर) उ०११२२६; १९४१. अ० १८५, ४४,६६,७३,७४ ५४०. प० ७८ मंगल्लकारग (माङ्गल्यकारक) प०६,३८,४७ मंदाय (मन्द) उ० ४।१२ मंगी (मङ्गी) अ० ३०४ मंदरगिरि (मन्दरगिरि) नंगा० १७ मंच (मञ्च) द० ५।६७, ६।५३. अ० ५८६. मंदार (मन्दार) प० २५ प० ६२. नि० १३।११; १४॥३०; १६॥५१; मंदिय (मन्दक) उ० ८१५ १८१६२ मंदिर (मन्दिर) उ० ६.१२ मंचाउत्त (मञ्चागुप्त) क० २१३,१० मंस (मांस) उ० २०११; ५६; ७६; १९६९; . मंजु (मञ्जु) दसा० १०।१६. ५० ६६,७५ २२।१५. दसा० ६४३,५; १०।२७. प० २३६ मंडग (मण्डक) प० २६ मंसखल (मांसखल) नि० १११८१ मंजुल (मञ्जुल) प० ३६,३७ मंसखाय (मांसखाद) नि० ४।१० मंडण (मण्डन) अ० ३११ मंसल (मांसल) प० २२,२४ मंडल (मण्डल) उ० ३१३३ से २० मंससुह (मांससुख) दसा० १०।११. प० ४२ मंडलपवेस (मण्डलप्रवेश) नं० ७७ मंसादीय (मांसादिक) नि० १११८१ मंडलप्पवेस (मण्डलप्रवेश) जोनं० ८ मंसुरोम (श्मश्रुरोमन) नि० ३।४६; ४१८४; मंडलय (मण्डलक) अ० ३८४ ६ ५५; ७१४४; ११।४१, १५१४३,१२६; मंडलिय (माण्डलिक) प०४७ १७.४५,६६ मंडलिया (मण्डलिका) उ० ३६।११८ मकरिया (मकरिका) नि० १३११३८ मंडव (मण्डप) उ० १८१५. नि० १३०११; मवकडगसंताणग (मर्कटकसन्तानक) नि० ७७५ १४।३०; १६।५१; १८१६२ मक्कडासंताणग (मर्कटकसन्तानक) नि० १३१८ मंडावय (मण्डक) नि० ६।२७ १४।२७; १८१५६ मंडिकुच्छि (मण्डिकुक्षि) उ० २०१२ मंडित (मण्डित) दसा० १०।१० मक्कडासंताणय (अर्कटकसन्तानक) दसा० २।३. मंडिय (मण्डिस) नं० गा० १२,२१. अ०६२; क० ४।३१ से ३४. नि० १६१४७ ३१६. प० १०,४२,६२ मक्कडासंताणा (मर्कटकसन्तानक) आ० ४।४ मंडियपुत्त (मण्डितपुत्र) प० १८३ मिक्ख (म्रक्ष) --मक्खेज्ज नि० ११४ मंडीपाहुडिया (मण्डीप्राभृतिका) आ० ४१६ मिक्खाव (म्रक्षय) -मक्खावेज्ज नि० १५३३५ मंत (मन्त्र) द० ८.५०, ६।११. उ० १५२८ मक्खावेत (म्रक्षयत्) नि० १५॥३५,४६,५८; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy