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________________ २१४ फुमंत बंभी --फूमेज्जा द०४ सू०२१ १२।१।१७।१ फुमंत (दे० फूत्कुर्वत्) द० ४ सू० २१ बंधण (बन्धन) आ० ४।८. द. १०।२१; चू० ११७ फुमाव (दे० फूत+कारय्) -फुमावेज्ज नि० उ० १११६; १४।४८; २०१३६. अ० २८२. १५॥१८. --फुमावेज्जा द० ४ सू० २१ दसा०६।३,१८. प० ८४,८७,१०६. नि० १४६ फुमावेत (दे० फत्कारयत्) नि० १५१८,२४,३०, बंधव (बान्धव) उ० ४।४।१०।३०; १३।२३; १८॥ ४६,५२,६१, १७।२०,२६,३२,४८,५४,६३, १४; १६।१६; २०१३४,५५ ७४,८०,८६,१०२,१०८,११७ बंधवया (बान्धवता) उ० ४।४ फुमित्ता (दे० फूत्कृत्य) नि० १७।१३२ बंधिय (बन्धित) प० २७८ फूमेंत (दे० फत्कुर्वत्) नि० ३।२१,२७,३३,४६,५५, बंधु (बन्ध) उ० १८।१५ ६४; ५:५६,६५,७१,८७,६३,१०२; ६।३०,३६, बंभ (ब्रह्मन) आ० ४।६. उ० १२१४६; १३।१३; ४२,५८,६४,७३;७।१६,२५,३१,४७,५३,६२, १६।२८, २१११२; ३१११४. अ० ३४२. ११११६,२२,२८,४४,५०,५६; १५।१०४,११०, प० १६६ ११६,१३२,१३८,१४७ बंभइज्ज (ब्रह्म ज्य) उ० १२।३ फुरंत (स्फुरत्) नं० गा० १६ बंभगृत्ति (ब्रह्मगुप्ति) उ० ३१।१० फुल्ल (फुल्ल) अ० १६,२०,३५२. दसा०७।२०. । बंभचारि (ब्रह्मचारिन्) दसा० ६११२ से १८; ६।२, फुल्लिय (फुल्लित) अ० ३५२ १३ ; १०१३२ Vफुस (स्पृश्) -फुसई उ० २।६. -फुसंति बंभचेर (ब्रह्मचर्य) द० ५।६; ६१४७,५८; ६।१३. उ०४।११. अ० १२५ उ० १६ सू० १ से १२; गा० १ से १,१५. फुस (स्पृश्) उ० २२।१२ २५।३०; २६।३४. नि० १६।१७ फुसंत (स्पृशत्) उ० १२।३६ बंभचेरगुत्ति (ब्रह्मचर्यगुप्ति) आ० ४।३,८५२ फुसणा (स्पर्शना) अ० १२१,१३८,१६५,१६६, बंभचे रवास (ब्रह्मचर्यवास) दसा० १०२२ से ३२ २०६,२१० बंभचे रसमाहिट्ठाण (ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान) उ०१६ फुसिय (पृषत) प० २५२,२५३. क० ५।१२ बंभण (ब्राह्मण) उ० २५१६,२६ से ३१ फेण (फेन) उ०१६।१३. प० २६,३१ बंभदत्त (ब्रह्मदत्त) उ०१३।१,४,३४ फोक्कनास (दे०) उ० १२।६ बंभद्दीवग (ब्रह्मद्वीपक) नं० गा० ३२ बंभद्दीविया (ब्रह्मद्वीपिका) प० २१५ बंभन्लय (ब्राह्मण्यक) ५०६ बउल (बकुल) प० २५ बंभयारि (ब्रह्मचारिन) द० ५।९; ८.५३,५५. बंध (बन्ध) द० ४।१५,१६, ६।३१; चू० १ सू० १. उ० १२।६,२२; १६ सू० ४ से १२; उ०६१६; १४।१६; १९।३२,६८,२५२८; गा० १६; २१११३; ३२।११,१३. प० ११६ २८।१४. अ० ३१७,३२७,५२५,७१४. दसा० बंभलिज्ज (ब्रह्मलीय) प० २०२ ६।३. नि० ११४४,४५, ५।७०,७२,७३ बंभलोग (ब्रह्मलोक) उ० १८।२६३६।२१०,२२६ Vबंध (बध) --बंधइ द०६।६५. उ० २६२. बंभलोय (ब्रह्मलोक) अ० १८६,२८७ -बंधई द० ४।१. -बंधति उ० ३६।२६७. बंभलोयय (ब्रह्मलोकज) अ० २५४ -बंधति नि० ११४३ बंभवय (ब्रह्मवत) उ० १६।३३; ३२।१५ बंधंत (बध्नत्) नि० ११४३ से ४५, ५७०,७१, बंभी (ब्राह्मी) ५० १६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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