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________________ १९० परक्कममाण-परिकिलेस दसा० ६।१८; ६।२।३६ परक्कममाण (पराक्रममाण) दसा० १०।२४ से ३३ परक्कम्म (परक्रम्य) द. ८।३२ परगणिच्चिया (परगणीया) नि०८।११ परगेह (परगृह) उ० १७११८ परग्ध (परार्घ) द० ७।४३ परधर (परगृह) द० ५।१२७ परज्झ (दे०) उ० ४।१३ परतित्थिय (परतीथिक) नं० गा० १० परत्थ (परत्र) उ० १४१५; ४१५; १७।२० परपरिग्गहिय (परपरिगृहीत) क० ३।३१. व०७।२८ परपरिवाद (परपरिवाद) दसा० ६।३ परपासंड (परपाषण्ड) उ० १७।१७ परपासंडपडिमा (परपाषण्डप्रतिमा) व. १।३१ परप्पवाइ (परप्रवादिन) उ० ४।१३ परभव (परभव) दसा० १०।११ परम (परम) द० ६।५।६।१६. उ० २।२६; ३।१,६,१२६।३४; १८।१५,१६७१; २०१५, २०,२१,५८%; २६।३६, ३५१७. दसा० ६।३, ५; १०४,६,७,१०,११,१२,१८,३०. प० ५, १०,१५,३८ परमंत (परमन्त्र) उ० १८।३१ परमग्गसूर (परमानशूर) द० ६।४८ परमट्ठपय (परमार्थपद) उ० २११२१ परमत्थ (परमार्थ) उ० २८।२८ परमदुच्चर (परमदुश्चर) द० ६।५ परमपद (परमपद) प०७४ परमाणु (परमाणु) उ० ३६।१०,११. अ० ११५, ११६,१३२,१३६,१५२,१५३,२५४,२८७, ३७१,३६५,३६६,३६८,४४४ परमाहम्मिय (परमधार्मिक, परमाधार्मिक) द० ४ सू०६ परमाहम्मिय (परमाषामिक) आ० ४१८. उ० ३१११२ परमोहि (परमावधि) नं० १६०२ परम्मुह (पराङ्गमुख) द० ६।४६ परय (परक) उ० ३४।१४ परलोइय (पारलौकिक) नं०८६ से ८६,६१. नि० १२।३०; १७।१५२ परलोग (परलोक) आ० ४।८. द. ६।४ सू० ६,७. उ० ५।११:२२।१६; २६।५१. दसा० ६१७. प०८० परलोय (परलोक) उ० १९६२. दसा० ६३ परसमय (परसमय) उ० २६।६०. नं०८२ से ८५. अ० ६०५,६०७ से ६०६,७१४ परसु (परशु) अ० ५५५ परस्मैभाषा ( ) अ० ३६७ पराइय (पराजित) उ० २२।३९; ३२।१२ परागार (परागार) द० ८।१४ पराघाय (पराघात) नं० ५४१५ पराजिय (पराजित) उ० ६।५६; १३।१ अपरामुस (परा+मश्)-परामसेज्जा दसा० ७।२१. क. ११३ परायंत (प्रराजमान) प० २६ परायण (परायण) उ० ७६; १४१५१ परासर (पराशर) दसा० ७।२४ परि (परि) अ० २७० परिआग (पर्याय) नं० ८६ परिआय (पर्याय) नं० ८६ से ८८,६१ परिइ (परि+इ)—परियंति उ०२७४१३ परिकंख (परि+काङ्क्ष)-परिकंखए उ०७२ परिकड्ढेमाण (परिकर्षत्) नं० १४ परिकम्म (परिकर्मन्) नं० ६२,१०१. १० ८७. ५० ४२. नि० १३१४२ परिकम्मिय (परिकमित) प० २३ परिकिण्ण (परिकीर्ण) दचू० ११७. उ० १११८ परिकित्तिय (परिकीर्तित) उ० ३०।३६; ३६।१४६,२१७ परिकिलेस (परिक्लेश) दसा० ६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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