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________________ निव्वेयण-निस्सेस निव्वेयण (निवेदन) अ० २८२ ५।१०२. उ० २ सू० ३; २६२,५. अनं० ८. निव्वोदय (नीवोदक) नं० ३८।७ अ० १६,३७,६०,८४,१०६,२३६,५६६,६२६, निसंत (निशान्त) द० ६।१४. उ० ११८ ६३८,६५०,६७६,७०३. दसा० २१३. नि० ५।२ निसग्ग (रुइ) (निसर्ग (रुचि) उ० २८।१६,१७ निसूरण (निषूदन) उ० १८१४२ निसग्गरुइ (निसर्गरुचि) उ० २८।१८ निसेज्जा (निषद्या) द० ३१५; ६।५४,५६,५६. निसट्ठ (निसष्ट) क० २।२४ से २७. व०१ से ८ उ० १७१७,१६; २३।१७ निसण्ण (निषण्ण) उ० २३।१८. प० ८ इनिसेव (नि+ सेव)-निसेवए उ० ८।१२ निसन्न (निषण्ण) द० ५।४०. उ. २०१४. ५० निसेवण (निषेवण) उ० ३२।३ ४२,१०६ निसेवय (निषेवक) उ० १०।१८,१६ निसम्म (निशम्य) उ० १०॥३७. दसा० १०१७. निसेविय (निषेवित) उ० २०१३ ५०६ निसेवियव (निषेवितव्य) उ० ३२।१० निसा (निशा) प० २६,८३,२३७ निस्संकिय (निःशङ्कित) द० २५६,७६;७।१०. निसामित्ता (निशम्य) उ० ६।७. अ० ७१५१६ उ०२८।३१ निसामिया (निशम्य) उ० १७।१० निस्संग (निस्सन) उ० १९८९ निसिज्जा (निषद्या) प०८१ निस्संगत (निस्सङ्गत्व) उ० २६।३१ इनिसिय ( निषद)-निसिए द०८।४४ निस्संस (नशंस) उ० ३४१२२ इनिसिर (नि+ सूज)-निसिर द० ८।४८. निस्सर (निस्+स)-निस्सरई द० २।४ निसिरइ प० १५.-निसिरे उ०३२।२१ निस्सल्ल (निःशल्य) उ० २६।४१,४६; ३०।३ निस्ससि उस्ससियसम (निःश्वसितोच्छवसितसम) निसीइत्तए (निषत्तुम्) क० १११६ अ० ३०७८ निसीइत्ता (निषद्य) दसा० १०॥३. ५० ३७ निस्सा (निश्रा) क० १।२३,२४. व० ४१६,१०; निमोइत्तु (निषत्त) दसा० ३।३ ७।१६ निमीय ( निषद)-निसीएज्ज द० ५.१०८. निस्सास (निःश्वास) द० १०१२८ से ३२ उ० ११२१.-निसीएज्जा द० ४ सू० २२. निस्साहारण (निस्साधारण) व०१०।१८,२०,२२, उ० २।२०.-निसीयइप० ३७.-निसीयई २४,२६,२८,३० उ०१७।१३.-निसीयंति प० ४५.-निसीयति निस्सिघिय (निःशियित) नं०६० दसा० १०१३ निस्सिचिया (निषिच्य) द० २६३ निसीयंत (निषीदत्) द० ४ सू० २२ निस्सिय (निश्रित) द० १०॥४. उ० ८।१०; ३५।११ निसीयण (निषदन) उ० २४।२४ निस्सील (निःशील) दसा० ६।३ निसीयाव (नि--पादय)-निसीयावेज्जा द० निस्सेणि (निःश्रेणि) द० ५।६७ ४ सू० २२ निस्सेयस (निःश्रेयस) उ० ८।५. नं० ३८१.. निसीयावण (निषादन) क० ४।२७ दसा० १०१११ निसीह (निशीथ) नं० ७८. जोनं ६ निस्से यसकर (निःश्रेयसकर) ५० ७३ निसीहि (निषद्य) आ० ३।१ निस्सेस (निःशेष) द० ६।१६ निमोहिया (निधीधिका, नषेधिको) आ० ३।१. द० निस्सेस (नि.श्रेयस) उ० ८।३. वसा० ४११६,१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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