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________________ १५८ धम्म-धाइपिर २।२१; १०।२१,२४ से ३३.५० १०,४७,४६, धम्मविणय (धर्मविनय) क० ४।१६ से २१ ७४.११३,१४६,२२२१७. व० १०।१२,१३. धम्मसद्धा (धर्मश्रद्धा) उ०२६।१,२,४ नि० ११६ धम्मसारहि (धर्मसारथि) आ०६।११. उ० धम्म (धर्म्य) आ० ४१८. उ० १६८; ३०।३५; १६.१५.५० १० ३४।३१ धम्मसासण (धर्मशासन) दचू० १।१७ धम्मंतेवासि (धर्मान्तेवासिन) व. १०।१७,१८ धम्मायरिय (धर्माचार्य) उ० ३६।२६५. व० धम्मकहा (धर्मकथा) उ० २६।१,२४. नं०८६ से १०।१५,१६ ५६,६१. अनं० ६. अ० १३,३४,५७,८१,१०६, धम्माराम (धर्माराम) उ० २।१५; १६।१५ ५६३,६२३,६३५,६४७,६७३,७०० धम्मिट्ठ (धर्मिष्ठ) उ० ७।२६ धम्मकामि (धर्मकामिन) द०६।१६ धम्मिय (धामिक) सा० १०६ से ११,१३ से धम्मचिंतग (धर्मचिन्तक) अ० २०,२६ १५,१६. प० ३६ धम्मचिंता (धर्मचिन्ता) उ०२६।३३. बसा० १७ धय (ध्वज) प० २८ धम्मजागरिया (धर्मजागरिका) १०२७६. क ध र (धर) आ० ४।६,६।११. ८० ८।४६. उ० १११६ ६।१७; ११।२१, १२।१,१५, १६।५; २२॥५. धम्मजाण (धर्मयान) उ० २७।८ । नं. गा. ३४ सू० ६५. अ० ५०,२८२,५४६. धम्मजीवि (धर्मजीविन्) ६० ६।४६ . प० १०,६६ धम्मज्माण (धर्मध्यान) द० १०।१६. उ० १८।४ ।। इधर (ध)-धरिज्जति उ० ३०१२७.-धरेति धम्मट्ठकहा (धर्मार्थकथा) २०६ दसा० ४।११. नि० ११४६ धम्मट्ठि (धर्माथिन्) दसा० ६।२।३८ धरण (धरण) नं० ५४. वसा० १०॥१८ धम्मतित्थ (धर्मतीर्थ) ५० ७३ धरणा (धरणा) नं. ४६ धम्मतित्थयर (धर्मतीर्थकर) उ० २३।१,५ धरणि (धरणि) अ०७०८१५. वसा० ६।४.५० १० धम्मत्थकाम (धर्मार्थकाम) द०६।३ धरणोदवाय (धरणोपपात) नं० ७८. जोनं० ६. धम्मत्थिकाय (धर्मास्तिकाय) उ०३६॥५. अ० व० १०॥३१ १४८,१४६,२५४,२५६,२८८,३२५,३४८, धरिज्जमाण (ध्रियमाण) वसा० १०॥३,११,१५. धम्मदय (धर्मदय) आ० ६।११.५० १० प०४२ धम्मदेसय (धर्मदेशक) आ० ६.११. प०१० धरिस (घष)-धरिसेइ उ० ३२॥१२ धम्मनायग (धर्मनायक) आ०. ६।११.५० १० धरत (धरत्) नि० १।४६,५४; २१३,७,२२,२३, धम्मपण्णत्ति (धर्मप्रज्ञप्ति) ३०४, सू० १ से ३ २६ से ३०; ५।२६,२६,३२,६८,७४,७५; धम्मपय (धर्मपद) द० ६।१२ ६।१६ से २४;७।२,५,६,११,११२,५; धम्म (रुइ) (धर्म (रुचि) ) उ० २८।१६ १४।८,६,१५६१५३; १६१४०; १७१४,७,१०, धम्मरुइ (धर्मरुचि) उ० २८।२७ १३; १८१४०,४१ धम्मलेसा (धर्मलेश्या) उ० ३४१५७ धवल (धवल) अ० ३५३. वसा० १०।१४. ५० धम्मवरचक्कवट्टि (धर्मवरचक्रवतिन्) ५० ४७,४६ २२,२५,४२ धम्मवरचाउरंतचक्कट्टि (धर्मवरचातुरन्तचक्र धवलवसह (धवलवृषभ) अ० ३५३ वतिन्) ५० १० धाइपिंड (धात्रीपिण्ड) नि० १३॥६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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