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________________ १५२ . दुगुल्ल-दुन्भिगंध. दुगुल्ल (दुकूल) दसा० १०।१२.१० २०. नि. दुम्नामधेज्ज (दुर्नामधेय) दचू० १।१३ ७।१० से १२; १७।१२ से १४ दुन्निरिक्ख (दुनिरीक्ष्य) ५० २७ दुग्ग (दुर्ग) दसा० ६।५,६; ७।२०. क० ६७ दुपएसिय (द्विप्रदेशिक) अ० ६४,६८,११५,११६, दुग्गइ (दुर्गति) द० ५।११; ६।२८,३१,३५,३६, १३२,१३६,१५२,१५३,२५४,२८७,३७१, ४२,४५. उ० ३४।५६; ३६।२५६ ४४४ दुग्गंधि (दुर्गन्धि) अ० ३१५।२ दुपय (द्विपद) उ० १३।२४; २६।१३. अ० ८७, दुग्गय (दुर्गव) द० ६।३६ ८८,३२७,५२५,६५४,६५८,६८०,६८४. दसा० दुच्च (द्वितीय) उ० २६१३४ ७५ दुच्चय (दुस्त्यज) उ० १४१४६ दुपरिचय (दुष्परित्यज) दसा० ६।३ दुच्चर (दुश्चर) द. ६।५. उ० १६।२४,३८ दुप्प उत्त (दुष्प्रयुक्त) दचू० २।१४ दुच्चिण्ण (दुश्चीर्ण) दचू० १ ० १. दसा०६॥ दुप्पजीवि (दुष्प्रजोविन्) दचू० १ सू० १ ३,७ दुप्पट्ठिय (दुष्प्रस्थित) उ० २०३७ दुच्चिण्णफल (दुश्चीर्णफल) दसा० ६।३,७ दुप्पडिक्कंत (दुष्प्रतिकान्त) दचू० १ सू० १ दुज्जय (दुर्जय) उ० ६।३४,३६; १३।२७; १६।१३, दुप्पडिग्गह (दुष्प्रतिग्रह) नं० १०२ दुप्पडियानंद (दुष्प्रत्यानन्द) दसा० ६।३ दुज्झ (दोह्य) द० ७५२४ दुप्पडिलेहग (दुष्प्रतिलेख्यक) द० ५।२०, ६।५५ दुज्झाय (दुर्व्यात) आ० ४।३, ५२ दुप्पडिलेहणा (दुष्प्रतिलेखना, दुष्प्रत्युपेक्षणा) आ० दुट्ट (दुष्ट) द० ७।५५,५६. उ० २३।५५,५८%; २७। ४७ १५. दसा०४।१८, ७।२४;६२।२३. क०४। दुप्पधसय (दुष्प्रधषक) उ०६।२० २८ दुप्पमज्जणा (दुष्प्रमार्जना) आ० ४७ दुट्ठवाइ (दुष्टवादिन्) उ० ३४।२६ दुप्पमज्जियचारि (दुष्प्रमाजितचारिन्) दसा० १।३ दुटपडिच्छिय (दुष्टुप्रतीच्छित) आ० ४८ दुप्पयार (दुष्प्रचार) ५०२७ दुण्णिक्खित्त (दुनिक्षिप्त) नि० १३।६ से ११; दुप्परिच्चय (दुष्परित्यज्य) उ० ८।६ १४।२८ से ३०; १६०४८ से ५१; १८।६० से . दुप्पहंसय (दुष्प्रधर्षक) उ० ११।२०,३१ ६२ दुप्पूरय (दुष्पूरक) उ० ८।१६ दुत (द्रत) अ० ३०७।१२ दुबुद्धि (दुर्बुद्धि) द० ६।३६ दुत्तर (दुस्तर) उ० १६॥३६; ३२।१७ दुब्बद्ध (दुर्बद्ध) नि० १३।६ से ११; १४।२८ से दुत्तोसय (दुष्तोषक) द० ५।१३२ ३०; १६।४६ से ५१; १८।६० से ६२ दुईत (दुर्दान्त) उ० २७१७; ३२।२५,३८,५१,६४, दुब्बल (दुर्बल) उ० २७१८. प० २८५. क० ३। ७७,९० २२,४१२८ दुईसण (दुर्दर्शन) अ० ३१५ दुब्बलय (दुर्बलक) अ० ३१७।२ दुद्दम (दुर्दम) उ० १११५ दुभि (दुर्) उ० ३६।२८. नि० २।४२ दुद्ध (दुग्ध) उ० १७१५ दुभिक्ख (दुर्भिक्ष) अ० ५३६ दुद्धर (दुधर) बसा० ४।११ दुभिक्खभत्त (दुभिक्षभक्त) नि०६६ दुरिस (दुर्धर्ष) नंगा०६. प०७८ दुब्भिगध (दुर्गन्ध) उ० ३६।१७. अ० २५६,२६३, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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