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________________ १५० दिण्ण-दीवयंत ३८ ५०४,२०,४२ ६।२१. उ० १२१३६; १४।६; १५।१४; दिण्ण (दत्त) प० ६२ १८।२५,२८, २१।१६; २२१६,१२; २५।२५; दित्त (दप्त) द. ५।१२. उ०३२।१० २६।३; ३११५. नं०६०. दसा० ५७; ७।४, दित्त (दीप्त) उM२२१६; १६।३६. नं० गा० २६ से २८,३१ से ३३,१०॥४,१४,२८ से ३२. १०,१४. दसा० १०.१५. प० २७,४२ प० ६,१५,३२,७७,११४. व० १०१२,४ दित्तचित्त (दप्तचित्त) क० ६।११. व० २०१० दिव्विय (दिव्यक) उ० ७:१२ दित्ततेय (दीप्ततेजस्) ५० ७८ इदिस (दिश)--दिसंतु आ० २१७ दिनसिर (दीप्तशिरस) दसा. १०।११५० ४२ दिसा (दिशा) उ० ३।१३, ६।१२; ७।१०; दित्तिकर (दृप्तिकर) उ० ३२।१० १६।८२; २७।१४; ३३।१८; ३६।२०६. दसा दिन्न (दत्त) द० ५।११३. उ० ६७; १२।२१ १०॥४. प० २८५. व. २२० से २२; २।२६; दिप्प (दीप) --दिप्पा अ०६४३.----दिप्पंति अ० ४।११,१२,५।११,१२; ६।१०,११,७।१ से ६४३-दिप्पेज्जा, क० २१७ ३,६ से ११. नि० १०१११,१२ दिप्पंत (दीप्यमान) उ० ३।१४. नं० गा० १७. दिमाकुमार (दिशाकुमार) अ० २५४ प० ३२,४२ दिसाग (दिशाक) नं० १८१२ दिप्पमाण (दीप्यमान) दसा० १०।१५. ५० २६, . दिसादाह (दिशादाह) अ० २८७ दिसामोह (दिशामोह) आO ६।२,३ दिय (द्विज) उ० १४१४२,४४, २५७,१३,३३, दिसाविचारि (दिशाविचारिन) उ० ३६०२०८ दिसी (दिश) उ० २७।१४ दिया (दिवा) द० ४ सू० १८ से ३३; ६।२४. उ० दिसीभाग (दिग्भाग) दसा० ५।५. ५० १५ २६३१. दसा० ६।१२. व० ६।४०,४१. नि० दिसीभाय (दिग्भाग) प० ४२ १११७५ से ७८ दिस्स (दष्ट्वा ) ८० ७.५३. उ. ६।६ दियाभोयण (दिवाभोजन) नि० १११७३ दिस्स (दृष्ट्वा ) उ० २३।१६ दिव (दिव) उ० ५।२२ दीण (दीन) उ० ३२।१०३. ५० ५४ दिवड्ड (यार्ध, द्वयपार्ध) नि० ११४६, ५४; दीव (द्वीप) आ० ४१६; ६।११. उ० २३१६५,६७, २१७; २०।३० से ३५ ६८,३६।२०६. नं० गा० २७, सू० १८१६, दिवड्ढमासिय (यपार्धमासिक) नि० २०३६ २५. अ० ४१०,४२५,४२६,५५६,५८६,६१५. दिवस (दिवस) आ० ३।१. उ० २४।५, २६।११; दसा० ५.७; ६।२।२७. प० २,९,१०,१३, ३०१२०. नं० १८१४. अ० ४१५. ५० ५६,६४, १५,१०१,१०६,१२७,१६१,१७६ ६६,७४,८१,८४,११३,१३०,१३५,२४०,२५०. दीव (दीप) उ०४।५. अ० ६४३ व० ३९१०।३७ -दीव (दीपय)-दीवए उ० ३५।१२ दिवसंत (दिवसान्त) नं० १८।४ -दीवेंत्ति अ० ६४३ दिवसचरिम (दिवसचरम) आ० ६१८ दीव कुमार (द्वीपकुमार) अ० २५४ दिवा (दिवा) नि० १२।३३ से ३५ दीवणिज्ज (दीपनीय) प० ४२ दिवायर (दिवाकर) उ० ११।२४ दीवपण्णत्ति (द्वीपप्रज्ञप्ति) जोनं ६ दिव्व (दिव्य) द. ४ सू० १४, गा० १६,१७, दीवयंत (दीपयत्) ५० २२,२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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