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________________ अवररत्त-अविच्चामेलिय ३६ अवररत्त (अपररात्र) द० चू० २।१२ अवरविदेह (अपरविदेह) अ० ३६६, ५५६ अवरविदेहय (अपरविदेहज) अ० ३३३ अवराध (अपराध) दसा० ६।३ अवराह (अपराध) द०६।३५. बसा०६।३. व०११३३ Vअवलंब (अव+लम्ब्)-अवलंबइ उ० २६।२० अवलंबण (अवलम्बन) नि० ११११ अवलंबणया (अवलम्बनता) नं० ४३ अवलंबमाण (अवलम्बमान) उ० २६।२०. क०६। ७ से १८ अवलंबित्तए (अवलम्बयितुम्) वसा० ७।१७ अवलंबिया (अवलम्ब्य) २० २१०६ अवलिय (अवलित) उ० २६।२५ अवलेहणिया (अवलेखनिका) नि०११४०; २।२५; ५।१६ से २२,६७ V अवलोय (अव+लोक्)-अवलोयए ३० ५।२३ अवव (अवव) अ० २१६,४१७ अववंग (अववाङ्ग) अ० २१६,४१७ अवस (अवश) उ०७।१०।१३।२४; १८।१२; १६।१६,५६,५७,६३,६४. अ० ३६०१३ अवसन्न (अवसन्न) उ०१३।३०; ३२१७६ अवसव्वय (अपसव्यक) नं० ३८७ अवसाण (अवसान) अ० ३०७।३. वसा० १०१११. प० ४२. नि० २०११६ से ५१ Vअवसीय (अव+षद्)-अवसीय उ० १३।१८ --अवसीयई उ० २७।१५ अवसेस (अवशेष) उ० १२।१०; २६॥३५; २६७३ प०१८५,२५६. क०२।१३. व. २।४ अवसोहिय (अवशोध्य) उ० १०।३२ अवस्स (अवश्य) अ० २८१२. दसा० १०।२८ से Vअवहर (अप+ह) -अवहरइ प० १५ -अवहरति. नि. ७८१ -अवहीरइ.१० ४८२. --अवहीरंति अ० ४५७ अवहरंत (अवहरत्) नि० ७८१; १०१६,११ अवहरित्ता (अपहृत्य) प० १५ अवहाय (अपहत्य) अ० ४२२ अवहिय (अपहृत) उ० ३२।८६. अ० ४७७,४६१ अवहिय (अवहित) अ० ५०,५४६ अवहीरमाण (अपहियमाण) अ० ४७७,४६१ अवहेडिय (अवहेठित) उ० १२।२६ अवाउड (अप्रावृत) ३० ३।१२. नि० ६।११ अवाएत्ता (अवाचयित्वा) नि० १६१६ अवाय (अवाय) नं० ३६,४६,४७,५०,५३,५४।१ अवायमति (अवायमति) दसा० ४।१० अवायमतिसंपदा (अवायमति संपदा) दसा० ४६ अवायाण (अपादान) अ० ३०८।२ अवि (अपि) द० १११. उ०१।११. नं० गा० ३३. जोनं० ३. अ० २. दसा० ११३. क० ११५. व० ११६. नि. ११३६ अविइगिट्ठ (अव्यतिकृष्ट) व० ७.१५ अविइण्ण (अवितीर्ण) व० १।१६; ३।२; ४।१६; ६०१ अविओसविय (अव्यवशमित) नि० १०।१४ अविओसवियपाहुड (अव्यवशमितप्राभूत) क० अविओसवेत्ता (अव्यवशम्य) क० ४।२६ अविकरण (अविकरण) क० ३।२६ अविकार (अविकार) अ० ३१८।१ अविक्किय (अविक्रय) २०७४३ अविगरण (अविकरण) नि० २१५४ अविग्गह (अविग्रह) उ० २६/७४ अविग्घ (अविघ्न) प० ७४ अविधुट्ठ (अविधुष्ट) अ० ३०७।६ अविच्चामेलिय (अव्यत्यानंडित) अनं०६ अवस्सकरणिज्ज (अवश्यकरणीय) अ० २८।१ अवह (अवध) द० ६०५७ अवहट्ट (अपहृत्य) वसा० ५।७।६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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