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________________ २२ अणुपाल इत्ता-अणुरूव लणपालइला (अनुपाल्प) उ०२६।१ अणपालिउं (अनुपादितुम् ) ० १६१३४ अणुप्पवेसेत्ता (अनुप्रविश्य) नि० १६ *पालितु (अनुपालयित) मा ६।६ से १८ अणुप्पेहा (अनुप्रेक्षा) उ० २६!१,२३ ; ३०।३४ अगुगलिय (अनुयालित) सार २५,२८,३१, अनं० ६. अ० १३,३४,५७,८१,१०६ ५६३, ३५.३० ६।३५ से ..?; १०१३,५ ६२३.६३५,६४७.६७३,७०० अणवालिया (अनुपाल्य) ३ १६६५ अणुप्पे हि (अनुप्रैक्षिन) उ० ५।११ अणुपालत (अनुपालयत् } आ० ४६ अणुफरिह (अनुपरिख) अ० ३५६ अग्रपालेत्तु (अनुपालयित)मा १२ से १५. अणुफरिहा (अनुपरिसा) क० ३।३२ अणुफास (अनुस्पर्श) द० ६।१८ पालेभाण (अनुपालगर) १०० ७३५ अणुबंध (अनुबन्ध) २० १६१११ अप्पासमार (अनुपश्यत्) ३०० २।१३ अणुबंधण (अनुबन्धन) उ० २६१४६ साव्य (अनुपूर्व) २०२४ ।। अणुबंधि (अनुबन्धिन् ) ६० ६।४७ अपुव्वसो (अनु पूर्व शस) २०१२६; २४११६; अणुबद्ध (अनुबद्ध) उ० ४।२; ३६।२६६ २६:३६,४७; ३०।२६:३६१४७,१०६ अणुब्भड (अनुभद) उ० २६।३० अणुवि (आनुपूर्वी) २००६ अणुभविउं (अनुभवितुम्) उ० २०।३१ अणुहि (अनुप्रेक्षिन्) उ० १३११५ अणुभाग (अनुभाग) उ० ३३।२४,२५, ३४।६१ पण (अनुत्पन्न) दसा ।।३।४।२०।१०।३१ अणुभाव (अनुभाव) उ० २६।२३; ३४।१ नि०४१२४ अभित्ति (अनुभित्ति) क० ३।३२ अणुप्पन (अनुप्राप्त) द. ३११५. उ० ३७; 1 अणुमन्न (अनु+मन)--अणुमन्नेज्ज उ० १४।१२ २८।३ अणुभनिय (अनुमत) उ० १६०२३ । अणुप्पदा (अनु-प्रदा)-अप्पदेज्जा क० अणुमय (अनुमत) उ०३६।२४६. अ०७१३।१ ४११२--अणुप्पदेति ?--अणुप्पदेहि प० २३८. व० ३६ त० २०२८ अणुमाण (अनुमान) नं० ३८।१० अ० ५१५, अणुप्पदाउं (अनुप्रदातुम् ।।१४,२७,२८. ५१६,५३७ ब० २।२८,८११६ अणुमाणित्ताण (अनुमान्य) उ० १६८६ अनुप्पदेत (अनुप्रददत) से ३४ अणुमाय (अणुमात्र) द० ५।१४६ ; ८।२४ अणुप्पवाय (अनुप्रवाद) १११ अणुमुयंत (अनुमुञ्चत् ) उ० ३०।२३ अणुप्पविटु (अनुप्रविष्ट) क० १८,४०, ३३१३; अणुमेरा (अनुमर्यादा) क० ३।३२ ४:१४; ५।११.१२,४१ अणुमोयणी (अनुमोदनी) द० ७.५४ 1 अणुप्पविस (अनु --प्र+वि)---अणुप्पविसति ___अणुरत्त (अनुरक्त) उ० २०।२८,५८; ३२।३२, दसा० १०।१०. नि० २।४.. ----अणुप्पदिसे उ० ४५,५८,७१,८४,६७ ; ३६।२६० २०१४ अणुराग (अनुराग) उ०१३।१५. दसा० १०.३० अणुप्पविसंत (अनुप्रविशत्, नि: २।४७; ३।१३; अणुराय (अनुराग) उ० ५।७ ४।१८,१६ अणुराहा (अनुराधा) अ० ३४११२ अणुप्पविसित्ता (अनुप्रविष्ण) दसा० १०॥१० नि० अणुरूव (अनुरूप) ५० ५२,६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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