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________________ अंतेवासिणी-अकम्मया २०६, २०७, २०६, २२१. अंबपेसिया (आम्रपेशिका) दसा० १०।२७ अंतेवामिणी (अन्तेवासिनी) ५० १६१ अंबफल (आम्रफल) व०६।३३,३४ अंतो (अन्तर) उ० २२।३३; ३३।१३. नं०२५. अंवभित्त (आम्रभित्त) नि० १५७,८,११,१२ अ० २८।२. दसा० २१३, ५, ६५, ७५; अंबय (आम्रक) अ० ३४७ ६।२।३. क० १७,६,१४,१६,१७, २।१,४ से अंबर (अम्बर) प० २७.३४ ८, ५।१२,१२,२० व०६।२,३; ६।१,२,५, अंबमालय (आम्रसालक) नि० १५५७,८.११ १२ ६, ६, १०, १३, १४, ४२, ४३; १०।३. अंबाडग (आम्रातक) अ०६०, ६५४, ६५८,६८०, नि० ८।१२ से १४ अंतीमाम (अन्तर्मास) क० ४।२६,३०. अंबाडगपेसिया (आम्रातकपेशिका) दसा० १०।२७ नि० ६२०: १२।४३ अंबिल (अम्ल) द० ५।६७. उ० ३६।१८,३२. अंतोमुहुत्त (अन्तम हत) उ० २६१७३; ३३।१६, २१, २२, ३८१४५; ३६८० मे ८२,८८ से अ० २६०, २६३, ३२३, ५११. ५० ५८ ६०. १०२ से १०४, ११३ मे ११५, १२२ से अस (अंश) प०२४ १२४, १३२ ने १३४, १४१ से १४३, १५१ ।। अंसहर (अंशधर) उ० १३१२२ से १५३, १६८ १७५ से १७७, १८४ से १८६, असिया (अंशिका) क० ११६; २।२२, २३ १६१ मे १६३, २०० से २०२, २४६. अंसु (अश्रु) उ० २०१२८ अ० ५६८. प० १७६ अंसुय (अंशुक) अ० ४३. नि०७।१० से १२; अंतोमुहुत्तिय (आन्तम हुत्तिक) नं० ५० १७१२ से १४ अंतासल्लमरण (अन्त शल्यमरण) नि० १११६३ । अकंपमाण (अकम्पमान) उ० २१११६ अंतोयिय (अन्तर्ह दय) उ० २३।४५ अकंपिय (अकम्पित) नं० गा० २१. ५० १८३ अंदुवंधण (अन्दुकबन्धन) दसा०६।३ अकक्कस (अकर्कश) द०७।३ अंध (आन्ध्र) अ० ३०७१३ अकड (अकृत) उ०१।११. नि०१०।१४ अधकार (अन्धकार) अ० ३१३।१. दसा० ६१५ अकण्णच्छिण्ण (अकर्णच्छिन्न) नि० १४१६; अंधगवण्हि (अन्धकवृष्णि) द० २१८. उ० २२।४३. १८।३८ अधयार (अन्धकार) उ० २२।३३; २३।७५; अकप्प (अकल्प्य ) आ० ४।३, २२. द० २४४ २८।१२. प० २० अकप्प (अकल्प) आ० ४।६. प० २८२. क०४।१५ अंधिया (अधिका) उ० ३६।१४६ अकप्पट्टिय (अकल्पस्थित) अ०४।१५. क०४।१५ अंब (आम्र) द० ७३३. अ० ६०, ६५४, ६५८, अकप्पिय (अकल्पिक) द० ५।२७, ४१, ४३, ४८. ६८०,६८४. नि० १५१५ से १२ ५०, ५२, ५४, ५८, ६०, ६२, ६४, ११५, अंबकजिय (आम्रकाजिक) नि० १७।१३३ ११७; ६।४७ अंबखुज्ज (आम्रकुब्ज) दसा० ७।३० अकम्म (अकर्मन्) उ० २६।७२. वसा० ६।२८ अंबखुज्जिया (आम्रकुब्जिका) क० ५१२० अकम्मचे? (अकर्मचेष्ट) उ० १२।२६ अंबग (आम्रक) उ० ७।११; ३४।१२, १३ अकम्म (भूम) (अकर्मभूम) उ० ३६।१६६ अंबचोयग (आम्र'चोयग') नि० १५१७,८,११,१२ अकम्मभूमि (अकर्मभूमि) नं० २५ अंबडगल (आम्र डगल') नि० १५७,८,११,१२ अकम्मभूमिय (अकर्मभूमिक) नं० २३ अंबपेसि (आम्रपेशि) नि० १५७,८,११,१२ अकम्मया (अकर्मता) उ० २६।१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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