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________________ ६२० १७६,१७७, १७६, १८१,१८२,१८३, १८५, १८७,१६० से १९३; २८।५; ३६।८२११,८३१ सु १८।२५, २६ से ३४ ठितिणामनिहत्ताउय ( स्थितिनामनिधत्तायुष्क) प ६।१२२ ठितिनामणिहत्ताउय ( स्थितिनामनिधत्तायुष्क ) प ६।११८ ठितिपडिया ( स्थितिपतिता ) उ१।६३ ठितीचरिम ( स्थितिचरम ) प १०३४, ३५ ठितीणामणिहत्ताज्य ( स्थितिनामनिधत्तायुष्क ) प ६।११६ ठिय ( स्थित ) प ११।४७,४८,८० से ८३ ज ३६२, ११६,१३८५३,२८,७५८ सू १।१७ उ १।१६ ड डंस ( दंश ) ज २१४० डब्भ (दर्भ ) प ११४२।१ डमर ( डमर ) ज २४२ उमरबहुल (डमरबहुल) ज १।१८ V se (दह) डहेज्जा ज २६ डाव (दे० ) उ ११३८ डिंब ( डिम्ब ) ज २०४२ fsaबहुल (डिम्बबहुल) ज १।१८ भय (डिम्भक) उ३।१२,११४,१२३,१३० fistfभया ( डिम्भका ) उ३।६२, ११४,१२३,१३०, १३१,१३४ डोंगरू (दे०) ज २।१३१ डोंब (०) 15 डोंबिलग (दे० ) प ११८६ ढ ढंक ( ध्वांक्ष ) प १७६ ज २१४०,१३७ ढिकुण (दे० ) प ११५१।१ ज २।४० ण ण (न) प १।१०११३ ज १६ सू १।१४ १०।१२६ Jain Education International ठितिपडिया-णक्ख गई (नदी) ज ४।२००,२०२,२१२ णउति ( नवति ) १८१ णय ( नवति) ज १।१८ ४२५; ६८७८२ १७३ उल ( नकुल ) प १७६ णं (दे० ) प १।२० ज ११३ सू १।२ उ ११५; २०१; ३।१;४। १;५।१ जंगल ( लाङ्गल) ज ३।३ मंगलई (लाङ्गलिकी) प ११४८२६ गंगलिय ( लाङ्गलिक) ज २४६४, ३।१८५ गूल ( लाङ्गूल) ज ७।१७८ गोलि (लाङ्गुलिन् ) प १८६ णंद (नन्द) ज ७ । ११८ णंदणवण (नन्दनवन) ज २२६५, ६६, ४१२१४, २३४,२३६,२३७,२३६, २४०,५१५५ दवड ( नन्दनवनकूट ) ज ४१२,३६ दवणविवरचारिणी ( नन्दनवनविवरचारिणी ) ज २।१५ नंदा (नन्दा ) ज ४।१४० ५२६११६८ ७ ११८. सू १०/६० दक्खरिणी (दापुष्करणी ) ज ४।२२१ दावत्त (नन्दात्तं ) प ११५१।१ ज ३३,३२ दिघोष ( नन्दिघोष ) ज २११६,३३०,५१५२ नंदिपुर ( नन्दिपुर ) प ११२३३ दिय (नन्दित ) ५१२१ दयावत ( नन्द्यावर्त ) प १४६ ३१७८; ४१२८५/४६३ मंदिरुक्ख ( नन्दिरूक्ष ) प ११३६।२ दिवा ( नन्दिवर्धना ) ज ५८ ।१ दिस्सर (नंदिस्वर ) ) ज २११६,५४४,५२,७४ सू १६।३१ दुत्तरा ( नन्दोत्तरा) ज ५८ ।१ ree (नक ) प १०५६ णक्क (नक्त ) प ११८६ क्ख (नख ) ज २।१५,१३३,७१७० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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