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________________ जम्मण-जसंसि ९११ जम्मण (जन्मन्) ज ५।३,५,७,१७,२२,२६,४४, ४६,६७ से ७०,७२ से ७४ उ २।६३।११२; ४।१६।५।२५ जम्हा (यस्मात्) उ १।६३; २६ जय (यत्) प २।३१ जय (ज) ज २०१५,६४,६५, ३५,६.१८,२६,३६, ४७,५६,६४,७२,७७.६०,६३ ११४,१३३, १३८,१४५,१५१,१५७,१७८,१८०,१८५, २०५,२०६,२२२, ५।५८, ७।११८ उ १।१०७, ११०.११६,११८,१२२.१३०,५१७ जय (जि) जइस्सइ उ १११५ जयंति उ १११३५ जयंत (जन्त) प १११३८, २१६३;४।२६४ से २६६; ६।४२,५६;७।२६; १५।८६,६२,१००, १०२.१०५,१०८,१०६.११३,११४,११६, १२०,१२१,१२३,१२५,१२६,१३१,१३६; २८९६ ज ११५,४१६४ जयंती (जयन्ती) ज ४।२१२, २१२।४।५।८।१ ७।१२०१२,१८६ सू १०८८२ जयणा (यतना) उ ३।३१ जयहर (जयधर) ज ३।१२६।१ जया (यदा) ज ५११ सू १।११ उ ३।११८ जया (जया) सू१०।६०,१७०,१७२ जर (जरा) प १११११; ३६१८३।२ सू २०१६।६।। जर (ज्वर) ज २।४३ जरा (जरा) प २०६४,२०६४।६,२२,३६।१४।१ ज २१८८,८६,१०३,१०४,१३३,३।२२५ जरुला (दे०) प ११५१ जल (जल) प ११७५ ज २११३४,३।३२,८१,९८, १५१,४।३,२५ उ ३१५५ जल (ज्वल) जलं ति ज ५१५७ जलंत (ज्वलत् ) ज ३११८८,४६,१४,३१,४१,६८, ७६,६३ उ ३।४८,५०,५५६३, ६७.७०,७३, १०६,११८ जलकंत (जलकान्त) प १।२०।४।२।४०।६ जलकिड्डा (जलक्रीडा) उ ३।५१,५६ जलचारिया (जलचारिका) प ११५१ जलट्ठाण (जलस्थान) प २।४,१३,१६ से १६,२८ जलण (ज्वलन) ज ३।३५ जलपह (जलपथ) प १६।४५ जलप्पह (जलप्रभ) प २।४०१७ जलमज्जण (जलमज्जन) उ ३५१,५६ जलय (जलज) प ११४८।४० ज ४।२६५७ जलय (जलग) ज ३१३२ जलयर (जलचर) प ११५४,५५,६०,३३१८३; ४।११३ से १२१;६७१.७८,८३;२११८ से १०,३२ से ३४,४३,५३,६० सू १०।१२० जलरुह (जलरुह) प १।३३११,११४६ जलवासि (जलवासिन्) उ ३१५० जलविच्छुय (जलवृश्चिक) प ११५१ जलाभिसेय (जलाभिषक) उ ३१५०,५१,५६ जलासय (जलाशय) प २१४,१३,१६ से १६,२८ जलिय (ज्वलित) ज ३।३५ जलोउय (जलोतुक) प ११४६ जलोया (जलौका) प ११४६,७८ जल्ल (दे०) ज २।३२ जल्लेस (यत्लेश्य) प १७।६२,१०२ जल्ललेस्स (यत्लेश्य) प १७१६२,१०२ जव (यव) प ११४५।१ ज २।१५,३७, ३।११६ जवजव (यवयव) प ११४५।१ ज २।३७ जवण (यवन) प ११८६ जवणदीव (यवनद्वीप) ज ३।८१ जवणाणिया (यवनानिका) प १९८ जवणालिया (यवनालिका) प ३३।२६ जवणिज्ज (यापनीय) ज ३।३०,३२,३४ जवमज्झ (यवमध्य) ज २१६ जवसय (यवासक) प ११३७।३ जवासा नामक पौधा, एक तरह का खदिर जवासाकुसुम (यवासककुसुम) प १७.१२५ जस (यशस्) ज ३।३५,७७,१०६,१२६,१२६, १६७,१८५,२०६ जसंसि (यशस्विन्) ज ३१३,१२६।३। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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