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तच्चं पाहुडं
१. ता केवतियं खेत्तं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु-ता एगं दीवं एग समदं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति १ एगे पुण एवमाहंसुता तिणि दीवे तिण्णि सम चंदिमसरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति....एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु -ता अद्भुठे दीवे अद्धठे समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति --एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाहंसु ता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति-- एगे एवमाहंसु ४ एगे पुण एवमाहंसु -ता दस दीवे दस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति---एगे एवमाहंसु ५ एगे पुण एवमाहंसु-ता बारस दीवे बारस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति --एगे एवमाहंसु ६ एगे पुण एवमाहंसु-ता बायालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति---एगे एवमाहंसु ७ एगे पुण एवमाहंसु-ता बावरि दीवे बावतरि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति-एगे एवमाहंसु ८ एगे पुण एवमाहंसु-ता बायालीसं दीवसतं बायालं' समुद्दसतं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति--एगे एवमाहंसु ६ एगे पुण एवमाहंसु-ता बावत्तरि दीवसतं बावरि समुद्दसतं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति- एगे एवमाहंसु १० एगे पुण एवमाहंसु--ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति ---एगे एवमाहंसु ११ एगे पुण एवमाहंसुता बावत्तरि दीवसहस्सं बावत्तरि समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति-एगे एवमाहंसु १२ वयं पुण एवं वयामो–ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव' परिक्खेवेणं पण्णत्ते, से णं एगाए जगतीए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, सा णं जगती तहेव
१. पगासेंति आहितेति वदेज्जा (ट,व) सर्वत्र । परिपूर्णाश्चतुर्थस्य चार्द्धमित्यर्थः । चन्द्रप्रज्ञप्ते२. आउठे (ग,घ); 'ट,व' प्रत्योः पाठस्त्रुटि वृत्तावपि इत्थमेव व्याख्यातमस्ति । तोस्ति । सूर्यप्रज्ञप्तेर्हस्तलिखितवृत्तौ 'अद्भुढे' ३. बातालं (क) । इति अर्द्ध चतुर्थं येषां से अर्द्धचतुर्थाः, तत्र ४. सू० १।१४ ।
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