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बावीस इमं किरियापर्य
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जाव थणियकुमारस्स ॥
__६६. मिच्छादसणसल्लविरयस्स णं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स एवमेव पुच्छा। गोयमा ! आरंभिया किरिया कज्जइ जाव मायावत्तिया किरिया कज्जइ, अपच्चक्खाणकिरिया सिय कज्जइ सिय णो कज्जइ, मिच्छादसणवत्तिया किरिया णो कज्जति॥
१००. मणूसस्स जहा जीवस्स । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहाणेरइयस्स ।। अप्पाबहुय-पदं
१०१. एतासि णं भंते ! आरंभियाणं जाव मिच्छादसणवत्तियाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवाओ मिच्छादसणवत्तियाओ किरियाओ, अप्पच्चक्खाणकिरियाओ विसेसाहियाओ, परिग्गहियाओ विसेसाहियाओ आरंभियाओ किरियाओ विसेसाहियाओ, मायावत्तियाओ विसेसाहियाओ॥
१.प० २२।६६
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