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________________ सत्तरस-सद्दाव १०६३ सत्तरस (सप्तदशन् ) प ४।१६ ज ३७६ सू ८.१ सत्तरसविह (सप्तदशविध) प १६।३८ सत्तरि (सप्तति) प २१५३ ज ५।४६ सू १६।१४ सत्तविह (सप्तविध) प १११६,५३,१६।२६,३२; २२।२१ से २३,८३,८४,८६,८७,६०; २४१२ से ८,१० से १३;२५।४,५,२६।२ से ६,८ से १०;२७२,३,३६।७ सत्तसठ्ठ (सप्तषष्टि) ज ४।६८ सत्तसठ्ठि (सप्तषष्टि) सू १०।२२ सत्तसिक्खावइय (सप्तशिक्षावतिक) उ ३।७६ सत्तहत्तरि (सप्तसप्तति) ज २।४।२ सत्तहा (सप्तधा) ज ७।६५,६८,६६,७१,७२,७४, ७५,७७.७८,५१७२.७३ सत्ताणउइ (सप्तनवनि) प २१४६ सत्ताणउत (सप्तनवति) प २१४८ सत्ताणउय (सप्तनवति) ज ७।१८ सू ११२७ सत्तातीस (सप्तत्रिंशत्) प ४।२७६ सत्तालीस (सप्तचत्वारिंशत् ) सु १०।१५१ सत्तावण्ण (सप्तपञ्चाशत् ) ज ४।६२,७।२१; सू २१३ उ १११३ सत्तावीस (सप्तविंशति) प ४।२७६ ज १७ सू १।१० सत्तावीसतिविह (सप्तविंशतिविध) प १७४१३६ सत्तासीय (सप्ताशीति) ज ७७७ सति (शक्ति) प २०४१ ज ३।३५,१७८ सत्तिवण्ण (सप्तपर्ण) प ११३६।३ उ ३१६४ सत्तिवण्णवडेंसय (सप्तपर्णावतंसक) प २।५०,५२ सत्तिवण्णवण (सप्तपर्णवन) ज २।६४।११६ सत्तु (शत्रु) ज ३।३,३५,८८,१०६,१७५,२२१ सत्तुस्सेह (सप्तोत्सेध) ज ११५ सू ११५ सत्थ (शस्त्र) ज २।६।१,३।२०,३३,५४,६३,७१, ७७,८४,१०६,११५,१२४,१२५,१३७,१४३, १६७,१८२ उ ३।३८,४० सत्थ (शास्त्र) उ ३१२८ सत्यवाह (सार्थवाह १६४१ ज २१२५,३६, १०,७७,८६,१७८,१८६.१८८,१८६,२०६, २१०,२१६,२१६,२२१,२२२ उ ११९२; ३।११,६६,६८,१००,१०१,१०६ से ११२; ५।१०,१७,१६,३६ सत्थवाही (सार्थवाही) उ ३।६८,१०१ से १०५, १०७,१०८,११० से ११३ सत्थीमुहसंठित (स्वस्तिमुखसंस्थित) सू ४॥३,४,६,७ सदा (सदा) प २१३०,३१,४१. सदेवीय (सदेवीक) प २०११२,३४।१५,१६ सद्द (शब्द) प २।३०,३१,४१,१५।३६,३६,४०; १६.४६,२३।१५,१६,१६,२०,३०,३१; ३४।१०२,३४।२३ ज १।१३,२६,३१,२।७, १२,६५,३।६,१२,१४,१८,३० से ३२,४३, ५१,६०,६८,७७,७८,८२,८८,८६,६३,१३०, १३६ १४०,१४६,१५५,१५६,१७२,१७८,१८०, १८५,१८७,२०६,२१२,२१३,२१८,२२२; ४।३,२५,८२,५।२२,२६,३८,५७,५८,७२,७३, ७.१७८ सू २०१७ उ ११६० से ६२,८५ से ८७: ५।१६,१७,२०,२५,२७ सहपरिणाम (शब्दपरिणाम) प १३।२१,३१ सहपरियारग (शब्दपरिचारक) ५३४।१८,२३,२५ सद्दपरियारणा (शब्दपरिचारणा) प ३४।१७,२३ सद्दव्वया (सद्व्यता) ज ३।३ सिद्दह (श्रत्-+-धा) सद्दहइ प १११०११४,१२ सद्दहाइ प १।१०१।३ सद्दहामि उ ३३१०३; ४।१४।५।२० सद्दहेज्जा प २०१७,१८,३४ सद्दहणा (श्रद्धान) प १११०१।१३ सिद्दाव (शब्दय् ) सद्दाविस्संति ज २।१४६ सद्दावेइ ज २१६७,१०५,१०७,१११,३।७, १२,१५,१८,२१,२८,३१,३४,४१,४६,५२, ५८,६१,६६,६६,७४,७६,७७,८३,६१,६६, १७०,१७३,१७५,१८०,१८३,१८८,१६१, १६६,२०७,२१२,५।२२,२८,५४,६१,६८,६६, ७२,१२८,१४१,१४७,१५१,१५४,१६४,१६८ उ १।१७,३१९१४।१६,५।१५ सदाति ।३।१०५,१०७,११३,५१३,१४ सदावेमि उ १७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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