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________________ वेयणासमुग्घाय-स १०५३ वेयणासमुग्धाय (वेदनासमृद्घात) प ३६।३५,३७, सासिय (वैश्वासिक) उ३।१२८ ३६,४१ वेहल्ल (वेल्ल) ज ११९५ से १६,१०२ से ११७, वेयणिज्ज (वेदतीय) प २२।२८,२३।२६२४।१०, ११६,१२७.१२८ राजा श्रेणिक का एक पुत्र । ११;२५॥३,४;२६।८; ३६१८२ ज ३।२२५ वेहास (निहायस्) ३१३१,१३२, ५।६४ वेयय (वेदक) प २५१४ उ १९७ वेयवेयय (वेदवेदक) प ११११६ बेहाकडच्छाया (बिहा स्कृतच्छा 1) सू ६।४ वेर (वैर) ज ११४२,१३३ वोकाण (दे० प ११८६ वेरमण (दिरमण) प २०११७,१८,३४ वोच्छ (ब) चोच्छ म ज ७/१३५११ वेराण बंध (वैरानुबन्ध) ज २१४२ सू १६२।३१ वेराणुसय (वैरानुशय) ज २।२८ बोच्छिद (F: अब छिद) वोच्छिजिस्सइ वेरिय (वैरिक) ज २१२८ ___ज २१२६,१५८ वेरुलिय (वैडय) प ११२०१४ ज ११३७,३।१२, वोच्छिष्ण (व्य च्छिन्न) ८.१ उ ३।३४ ८८,६२,११६,१६७।१२,१७८,४१२४२, वोच्छिण्णदोहन (च्छिन्नदोहद) ११५०,७५ २६४:५५,२१,५८,७११७८ वोच्छेयकइ (व्यवच्छेदबटकी) प १७।१३४ योज्य (5) भिहितिज ११३४ वेरुलियाड (वैडर्यकट) ज ४७६ वेरुलियमणि (वैडूयं णि) प १७।११६,१४८ वोज्ज्ञ (उद्य) ज ३१२११; ५१५८ वोडाण (दे०) प ११४४।१ ज ४।३,२५ वेरुलियमय (वैड्यंमा) ज ३।१२,८८,४७,२६, वोयड (व्य वृत) प १११३७।२ बोलीण (त') सु २०६४ १६२,२४२,२६४;५।५८ वेलंबग (विडम्बक) ज २।३२ वोसकाय (गत्माष्टकाय) ज २०६७ वेलंबय (विडम्बक) ज २६३२ वैसाह (वैशाख) ज ७.१०४ व्व (इ) प १११०११७; २१४८ ज २०१५; वेला (वेला) प २११ उ ३।११० ३।२४१३,३७।१,४५०१,१३११३ उ ११३५ वेलु (वेणु) प ११४११२ वेलुय (वेणुक) प ११४८६१ वेस (वेष) प २।४१ ज २।१५,३।१३८,१७८ स (व) प रा३०,३१,४१४६,५०,५८ ज १११६; सू २०१७ २।१२०, ३११२,१७८ २ १०७४ उ ३।२६, वेसमण (वैधमण) ज ३।१८,३१,६३,१८०; ५५,१४१,४१२ ४।१७२।१।५।६८ से ७१,७१२२।२ स (स) प ११४८।४६; २१३०,३१,३२,४१,४६,५६, सू १०१८४।२ उ६।५४ ६३,६६ ज १८,१६,२३,२६,३१,३५२१६४, बेसमण (काइय) (वैध णकायिक) ज ११३१ ७१,७२,७७ से ८२,३१६,१७,१८,२१,२८, नेसमण कूड (वैश्रः कूट) ज ११३४,४६,४।४४, ३०,३५,४१,४६,५८,६६,७४,७६,८१,१०१, ३,२०२ ११६ से ११८,१२८,१४७,१५१,१६७,१६८, वेसाणिय (वैधाणिक) प ११८६ १८०,२१२,२१३,२२२,१३,१३,२१,२५, वेसाली (वैशाली) उ १११०५ से १०७,११०,१११, . ३६,४०,४१.५०,५१,५६,६७,११२,११४, ...११५.११६,१२६,१३०,१३२ १.हे० ४११६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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