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________________ बहुमज्भदेसभाग-बारवती बहुमज्झदेसभाग (बहुमध्यदेशभाग) ज ११३७, ११७,११८,१३१,१६६,१७०,१७९,२३४,२४० ४।३५ सू १६।१६ से २४२,२४७,२४८,२५०;५।३२,३५ सू२।१; बहुमज्झदेसभाय (बहुमध्यदेशभाग) ज १११०,१६, ६।३;१८।१,२०१७ ४०,४२,४३,३।१,६७,१६१,१६३,१६४,१६७; बहुस्सुय (बहुश्रुत) उ ३।६६,१५६,५।२६ ४।३,६,६,१२,३१,३३,४१,४७,४६,५७,५६, बाउच्चा (बाकुची) प ११३७।२ ६४,६८,७०,७६,८४,८८,६३,६८,११२,११८, बाण (वाण) प ११३८१२ वाण का फल ११६,१३६,१४१,१४३,१४५ से १४७,१५६, बाणउति (द्वानवति) मू १।१६।११६।१५।१ १६८,१७७,२०७,२०८,२१३,२१८,२२१,२४२, बाणउय (द्वानवति) ज ११४८ २४८,२५०,२५२,२६६,२७२,५१३ बाणकुसुम (वाणकुसुम) प १७।१२४ बहुमय (बहुमत) उ ३।१२८ बाताल (द्वि चत्वारिंशत्) सु १३।१ बहय (बहक)प ११४७।३,११४८।५४;३।३८ से १२०१ बातालीस (द्विचत्वारिंशत) म १६४१२२२ १२२ से १२४,१७४,१७६ से १८२,६१२३, बादर (बादर) प २.१,२,४,५,७,८,१०,११,१३, ८।५.७,६,११६।१२,१६,२५,१०।३ से ५,२६ १४; ३७२ से १५,१११,१८३४।६२ से ६४, से २६१११७६,६०१५।१३,१६.२६,२८,३१, ६६.७०,७६.७७,८५ से ८७,६२ से ६४,६८३, ३३,६४,१७।५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से १०२,११।६४,१८१४१ से ४४,४६,४७,४६, ८३,१०६,१०७,१४४ से १४६; २०१६४; ५०,५४,११७, २१।४,५,२५.४०,४१ ५०; २१११०४,१०५:२८।४१,४४,७०,३४।२५; २८।१४,१५,६०,६१ सू २०११ ३६।३५ से ४१,४८,४६ सू १८१३७ बादरआउक्काइय (बादरअप्कायिक) प ११२१,२३ बहुल (बहुल) प २।४१ ज २११२,६४,६५,७१, बादरकाय (बादरकाय) प १२००२ ८८,१३३,१३४,१३८,४।२७७,७/१२६ बादरणाम (बादरनामन्) प २३॥३८,११६ बहुलपक्ख (बहुलपक्ष) ज ७११५,१२५ सू २०१३ बादरतेउक्काइय (बादरतेजस्कायिक) प ११२४,२६ बहुवत्तव्व (बहुवक्तव्य) प १।१।४ बादरवणस्सइकाइय (बादरवनस्पतिकायिक) बहवयण (बहुवचन) प १११८६ प ११३०,३२,३३,४७,४८ बहुविह (बहुविध) प २१६४।१७:१७।१३६ बादरबाउकाइय (बादरवायुकायिक) प ११२७,२६ ज ३१६,२२२ बादरसंपराय (बादरसंपराय) प १११४ बहुसंघयण (बहुसंहनन) ज १२२,२७,५० बायर (बादर) प६।१०२,१११६५,६६।१,१८१५२; बहुसंठाण (बहुसंस्थान) ज ११२२,२७,५० बहुसच्च (बहुसत्य) ज ७१२२।१ सू १०।०४।१ २१।२३,२४,२६,२७ ज ७४४३ बायरसंपराय (बादरसम्पराय) प ११११२,२३।१६२ बहुसम (बहुसम) प २।४८ से ५१,६३,३।३६; बायाल (द्विचत्वारिंशत् ) ज ४।८६,१०८ सू ३१ १७१०७,१०६,१११ ज १११३,२१,२५,२६, बायालीस (द्विचत्वारिंशत् ) प २१६४ ज २१६ २८,२९,३२,३३,३६,३७,३६,४०,४२,४६; २१७,१०,३८,५२,५६,५७,१२२,१२७,१४७, सू ३।१ उ ५९ बायालीसहि (द्विचत्वारिंशविध) प २३१३८ १५०,१५६,१५६,१६१,१६४; ३८१,१६२, १६३,१६६,१६७,४।२,३,८,९,११,१२,१६, बार (द्वादश) प १०।१४।३ ३२,४६,४७,४६,५०,५६,५८,५६,६३,६६,७०, बारबई (द्वारवती) उ ५।४,५,६,११,१६,३०,३३ ८२,८७,८८,१००,१०४,१०६,१११,११२, बारवती (द्वारवती) प ११६३।३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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