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________________ निव्विकाइय- नोइंदियउवउत्त निव्विकाइय ( निर्विष्टकायिक ) प १।१२७ निव्विण्ण (निर्दिष्ण) उ ११५२,७७ निव्वितिमिच्छा (निर्विचिकित्सा ) प १।१०१११४ निव्विसमाण (निविशमान ) प १।१२७ निव्वुइकर (निर्वृतिकर ) ज ५३३८ वुड्ढ ( नि + वर्धय् ) निव्बुड्ढे इ स ६ । १ निव्वय ( निर्वृत) उ १६१,६२,८६,८७ निव्वेड्ढ ( निर् + वेष्टय्) निव्वेड्ढे इ सू २२ निव्वेढेति सू २२ निव्वेयण (निवेदन) उ १।६१,६२,८६,८७ निसंत ( निशान्त ) उ ३।१३८ निसढ (निषध) ज ४१६४ उ५।२।१,५११३,२०, २२,२३,३१,३२,३४ से ४३ निसम्म ( निशम्य ) ज ३।६११।२१ ३ । १३; ४|१४; ५।३० निसामैत्त ( निशमितुं ) उ ३११०२,१३४ निसास ( निःश्वास ) ज ३।२२१ उ५।४३ निसीय ( नि + षद्) निसीयइ उ ११४१ निसीयित्ता (निषध) उ १।४१ निसीहिया (निषीधिका, नैषेधिकी) उ४।२१ से २३ निग (निषेक) प २३।७४ निस्संकिय ( निःशंकित ) प १।१०१।१४ निस्सग्ग ( निसर्ग ) प १।१०१।१ निस्सास विस ( निःश्वासविष ) प १७० निहाण ( निधान ) प १।१।२ निहिरयण ( निधि रत्न) ज ३।१६६ से १६८ / नीण (नी) नीणेइ उ १६७ नीय ( नीच) उ३ | १००,१३३ नीर (नीरजस् ) प २।४१,४६,५६,६३,६४ नील (नील ) प ११४ से ६; ५।२०५; ११।५३; २८।२० ज ४ २६ नीलपत्त (नीलपत्र ) प १५१ नीलमत्तिया ( नीलमृत्तिका ) प १।१६ नोललेस्स (नीललेश्य ) प १७६४ नोललेस्सा (नीललेश्या) प १७।३७ Jain Education International नीलवंत (नीलवत्) ज ४।१४२१३,१७८, १८०, २०७ २२७ नीलासोय (नीलाशोक ) प १७११२४ नीली (नीली) प १।३७।१ नील नीव (नीप) ज ५ | २१ ( नीसस ( निर् + श्वस् ) नीससंति प ७।१ से ४, ६ से ३०; १७।२५ नीसा ( निश्रा ) ज २।१३३ नीसास ( निःश्वास ) प १।४८।५३ ज २२४११ ; ५।५८ नोहरण (निर्हरण) उ १६२ नूणं ( नूनम् ) उ ३।३८ नेउर ( नुपूर ) ज १।२६ नेमि ( नेमि ) ज ३।३५ नेयव्व ( नेतव्य ) प २।४७।३ ; ३६।२७ ज ४।७५ सू२।२४।२१।१४८ २२२५१४५ नेरइय (नैरयिक) प ११५२, ५३; २।२० से २७; ३।१० से २३३८, ३६, १२६, १८३४।१,२.४ से २४; ५। ३ से ५, ८, २२, २७ से ३४,३६,३७, ४०,४१,४४,४५,६।१० से १६,४५, ४७, ५.१, ५८,६०,६५,६८,७०,७३ से ७८,८० से ८४, ८७,८८,६० से ६३,६६,६६,१०१ से १०३, १०५, १०६,११०,११४,११७,११६, १२१; ७ १ ८२, ४, ५, ६२, १४, २१, २४, १०८४२ ५१, ११।४०, ४१, १५६०,६१,८८, १ १७६, १०१; १८२; २०१६३,२२१३६ २८।१०६,३६।२२१।२६, १४० नेरइयअसण्णिआउय (नैरयिकासंज्ञयानुष्क) प २०६४ नेरइयत्त (नैरयिकत्व) उ१।२६, २७, २४० नेवत्थ (नेपथ्य ) ज ३।१७८ सप्प (सर्प) ज ३।१६७।१ नेह (स्नेह) उ १।७२,७३,८७,८८,६२ नो (नो ) प ५२ सू १।१८ उ १११५, ३।३४; ४२२ नोइंदियजवउत्त (नोइन्द्रियोपयुक्त) प २।१७४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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