SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1001
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२४ णाणावरणिज्ज-णास णाणावरणिज्ज (ज्ञानावरणीय) प २२।२६,२७; २६८,२७२,२७४,२७७ ; ५।१८,२८,४६,५७; २३॥१,३,६,७,६ से १३,२४,२५,६०,१३४, ७।११४,२१३,२१४ चं ११४ सू १०।१२४; १३६,१५४,१५५,१६०,१६४,१६७,१७६, १२।२६; १६२,६,६,१२,१६,२२।३,२८,३६ १७८,१८६,१६१,१६४ से १६६,२०२,२४।१ उ १११७ से ५,८,१५,२५।१,२,२६।१ से ४,७,१२; णामक (नामक) ज ३।२६,३६,४७,१३३,१३५ २७१ से ३ णामग (नामक) ज ४।२०० जाणाविध (नानाविध ) ज २१७,३।१८६ से १६२ णामधेन्ज (नामधेय) ज ११४० : णामधेज्ज (नामधेय) ज १।४७, ३।८१,२२१, णाणाविह (नानाविध) प ११४७११;२।४१ २२६;४।२२,३४,५४,६४,१०२,१०७,११३, ज १२१३,२१,२६,३३,३७,४६,२।१२,५७, १५७।२,१७७,२६०, ७/११४,११७.१२० १२२,१२७,१४७,१५०,१५६,१६४;३।७, सू १०८६,८८,१२४,२०१२ १०६,१८४,१६२,४।६३,५॥३२ णामधेय (नामधेय) ज ५१२१ णाणि (ज्ञानिन्) प १८७६; २३।२००; २८।१३५ णामय (नामक) ज ११४६; २०१७,४।१०६,१६३, ज ५.५,४६ २०४,२१०,२११ णाणोव उत्त (ज्ञानोपयुक्त) प ३६।६३,६४ णामसच्च (नामसत्य) प ११।३३ णात (ज्ञात) प ११६५ णामसूरय (दे०) सु २०१२ णाभ (नाभ) ज २।१५ णामाहयक (नामाहतक) ज ३।२६,३६,४७,१३३ णाभि (नाभि) ज २१५६,६२,६३, ४।२६०११;५।१३ णायग (ज्ञायक) ज ५।५,४६ णाभिणाल (नाभिनाल) ज ५।१३ णायय (ज्ञातक) ज २१२६ णाम (नामन ) प १११०१।१०।२।४८,५० से ५२ णायव्व (ज्ञातव्य) प १११०१३३,६,७,६,११; ५४ से ५७,५६,६०,६२ से ६४,६४।१७,१०३, १८।१।२,३५।१।१ १।३३।१; २२।२८,२३।१,१२,३८,२४।१५; णारग (नारक) प १२२६;२४।१०,११,२६।८,६ २६।११:२७१५,३६।८२,६२ ज ११२,३,५,१६, णाराय (नाराच) प २३।४५,४६ ज ३।३,३१ १८ से २०,२३,३५,४१,४५,४६,४८,५१,२१८, णारिकता (नारीकान्ता) ज ४।२६२,६।२१ १३,५१,५४,६० से ६३,१२१,१२६,१३०, णारी (नारी) ज ३।१८६,२०४ १४१ से १४५,१४६,१५४,१६०,१६३; ३३१, णारीकंता (नारीकान्ता) ज ४।२।६६ २,२६,३०,३५,३६,४७,५६,६७,१०३,१०६, णारीकूड (नारीकूट) ज ४।२६३।१ १११,११५,१३३,१४५,१६१,१६७।३,२२५, णाल (नाल) ज ४७ ४।१,३,२५,३१,३४,४०,४१,४५,४८,४६,५१, णालबद्ध (नालबद्ध) प ११४८।४० ५२,५५,५७,६२,६४,६७,६८,७५,७६,८१,८४, णालिएरीवण (नालिकेरीवन) ज राह ८६,८८,६२,६८,१०३,१०६,१०८,११०,१४१, णालिया (नालिका) ज २६ १४३,१५६ से १६५,१६७ से १६६,१७२ से णालिया (नालिका, नाडीका) प ११४०।१ १७८,१८० से १८२,१८४,१८५,१८७,१८८, णावा (नौ) प १६।४५ ज ३१८०,८१,१५१: १६०,१६१,१६३,१६४,१६६,१६७,१६६ से ७१३३।१ सू १०।३३ २०३,२०५ से २०६,२१०।१,२१२,२१३, णावागति (नौगति) प १६।३८,४५ २१४,२२६,२३४,२३७,२३६ से २४२,२४५, णावासंठिय (नौसंस्थित) १०१३३ २४६,२५१,२५२,२६१,२६२,२६५,२६६, णास (नाश्) णासेंति ज ३।६५ १५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy