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________________ संकेत-निर्देशिका • • ये दोनों बिन्दु पाठ-पूर्ति के द्योतक हैं। पाठ-पूर्ति के प्रारम्भ में भरे बिन्दु और समापन्न में रिक्त बिन्दु ० का संकेत किया गया है । देखे, पृष्ठ ८, सू ८ ।' यह दो या उससे अधिक शब्दों के स्थान में पाठान्तर होने का सूचक है। ० पाठ में संलग्न दिया गया एक बिन्दु अपूर्ण पाठ होने का सूचक है। देखें, पृष्ठ ३, पाठान्तर १२, पृ० ११६, सूत्र १४२ [?] कोष्ठकवर्ती प्रश्नचिह्न आदर्शों में अप्राप्त किन्तु आवश्यक पाठ के अस्तित्व का सूचक है । देखें, पृ० २२, सूत्र ३२ x क्रोस पाठ नहीं होने का द्योतक है। देखें, पृ० ६ पाठान्तर ६ जाव आदि पर जो अंक है वे प्रति आधार स्थल के द्योतक है। जैसे-पृ०६, पाठान्तर १५ पृ० १०२ सूत्र ६६ पाठान्तर का अंक ६ पृ० ६७, सूत्र ४५, पाठान्तर का अंक ५ पृ० ११५, सूत्र १३६, पाठान्तर का अंक १४ पृ० ११६, सूत्र १४२, पाठान्तर का अंक २ पृ० १२५, सूत्र १२६, पादटिप्पणांक १,२,३ आदि सं० पा. संक्षिप्त पाठ नावृ० नायाधम्मकहाओ वृत्ति जं० पुवृ० जंबुद्दीवपण्णत्ती पुण्यसागरीयवृत्ति " शावृ० , , शान्तिचन्द्रीयवृत्ति , हीवृ० , , हीरविजयवृत्ति राय० ०० रायपसेणियं वृत्ति राय० सू० रायपसेणियं सूत्र ओ०सू० ओवाइयं सूत्र उत्त० उत्तरज्झयणाणि भ० भगवती पण्ण. पण्णवणा जी० जीवा जीवाजीवाभिगमे जंबु० जंबू० जंबुद्दीवपण्णत्ती पण्हा० पण्हावागरणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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