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________________ परिभवणा-परिवढि परिभवणा [परिभवना] ओ० १५४,१६५,१६६ ७७८,८०४ परिभाइत्ता परिभाज्य रा०६६५ परियावणकर [परितापनकर] ओ ० १६१,१६३ परिभाएमाण [परिभाजयत् ] रा०७६५,७८७,७८८, । परिरय [परिरय] ओ० १६२. जी० ३।२१६।१, ८०२ २,४,५,८३६,६१० परिभायइत्ता [परि गाज्य ] ओ० २३ परिलित [परिलीयमान] ओ०६२. जी० ३।२७५ परि जमाण [परि भुजान] ओ० ११६,११७ परिलो [दे०] रा० ७७ परिभुजमाण [परिभुजान ] स० ७६५,८०२ परिवंदिज्जमाण [परिवन्द्यमान ] रा० ८०४ परिभुज्जमाण [परिभुज्यमान] रा० ३०,१३६,१७४, परिवच्छिय [परिवस्रित'] ओ० ५७ ८०४. जी० ३।११८,११६,२८३,२८६,३०६ ।। परिवज्जिय [परिवर्जित] जी० ३।६२२ परिभोगत्त [परिभोगत्व | जी० ३१६१८ परिवड्ड [परि-वृध्] -परिवड्ढइ. जी. ६१६,६२१ ३१८३८।१८.--परिवढिस्स इ. रा० ८०४ परिमंडल [परिमण्डल] रा०६,१२,१४. जी. परिवय [परि + वृत्]-परिवयंति. रा० २८१. ११५; ३ २२ जी० ३४४७ परिमंडित [परिमण्डित जी० ३।३७२ परिवस [परि---वस्]-परिवस इ. ओ० १४. परिमंडिय [परिमण्डित | ओ० १,५७,६४,७०, रा० रा० ७०३.---परिवसंति ओ० १८६. ३२,५२,५६,१७३,२३१,२४७,६८१,८०४. रा० १५६. जी० ३१२३२.-परिवसति. जी० ३।३६३ जी० ३।२३४ परिमद्दण [परिमर्दन] ओ० ६३ परिवसण [परिवसन] जी० ३१५६८ परिमाण | परिमाण] जी० ३।१२७१३,२५०,२५८ परिवह [परिवह]-परिवहंति परिमिय [परिमित] ओ० १५. रा० ६७२ जी० ३३१०१५ परिमियपिंडवाइय | परिमितपिण्डपातिक ] ओ० ३४ परिवहितए [परिवोढम् ] रा० ७६० पिरियट्ट [परि+वृत्] - परियट्टयंति ओ० ४५ परिवाइणी [परिवादिनी] जी० ३१५८८ परियट्टणा [परिवर्तना] ओ० ४२,४३ परिवाडी [परिपाटी] रा०१३१ से १३३,१३५, परियत्त [परिवर्त | ओ० ४६ १३६. जी० ३।३०१ से ३०३ परियर [परिकर] रा० ६६,७६५ परिवायणी [परिवादिनी] रा० ७७ परियाइ [परि + आ--दा]-परियाएइ रा० । परिवार [परिवार] ओ० ७०. रा. ७,४२,४७, १५-परियायंति रा० १०.जी० ३।४४५ ५६,५८,६१,६७,१६४,१८६,२०४ से २०६, परियाइत्ता [पर्यादाय] रा० १०. जी० ३।४४५ २१६,२४३,२८०. जी० ३।३४०,३५०,३५६, परियाइय [पत्ति] रा० ६६४. जी० ३।५६२ ३६६,३६८,३७८,४०५,४४६.४४८,५५७, परियाग [पर्याय | ओ० ६४,१५५,१५८ से १६०, ५६३,६३५,६५७,६६३ ६७३,६८०,६८५, ७३७,७४०,७४२,७४५,७५०,७६२,७६५, परियाण [परि--ज्ञा] - परियाणइ रा०६४ ७६८,७७०,१०००,१०२३,१०५४ परियाय पर्याय | ओ० २३,११४,१४०. परिवाल [परिवार रा० १३,१२० ___ रा०८१५ परिविद्धंस इत्ता [परिविद्धवस्य ] जी० ११५० परियारणिडि [परिचारद्धि] जी० ३।१०२५ । परिवुटि [परिवृद्धि] जी० ३१७८८,७८६ परियाल [परिवार] ओ० २३,७०,७१. रा० ७७७, १. परिपक्षितं ---परिगृहोतं परिवृत्तम् (व) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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