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________________ ६४८ त्ति-थेरवेयावच्च जी० ३.२८५,२८८ से २६१,३१५ से ३३४, ३५५,३६३,३७२,३६६,४२५,५४३,४४७, ४५४,४७७,५३२,५५४,५५६,५७६,५६७, ६०४,६४१,६६६,६८४,८५७,६०१ त्ति [इति] रा०६ थंभ [स्तम्भ] रा० २० यंभणया [स्तम्भन] ओ० १०३,१२६ थंभिय [स्तम्भित ] ओ० २१,४७,५४,६३,७२. रा० ८. जी. ३:४५७ थिक्कार [दे०] -थक्कारेंति. रा० २८१. जी० ३१४४७ थण स्तन] ओ० १५. जी० ३।५६७ थणिय [स्तनित ] ओ० ४८,७१. रा० ६१ थणियकुमार [स्तनितकुमार] जी० २।१६ थणियकुमारी [स्तनितकुमारी] जी० २।३७ थणियसद्द [स्तनितशब्द] जी० ३।८४१ थलचर [स्थलचर] जी० २।१२२ थलज [स्थलज] जी० ३।१७१ थलय [स्थलज] रा० ६,१२ थलयर [स्थलचर] ओ० १५६. जी० ११९७,१०२ से १०४,११२,११७,१२०,१२४, २१६,२३, २४,६६,७२,७६,६६,१०४,११३,१३६,१३८, १४६,१४६; ३।१३७,१४१ से १४४,१६१ से थालिपाग [स्थालीपाक] जी० ३।६१४ थाली [स्थाली] जी० ३७८ पावर [स्थावर] जी०१।११,१२,७४,१३७,१३६, १४१,१४३ थावरकाय [स्थावरकाय] जी० ३६१७४ यासग [स्थासक] ओ० ६४ थिबुग [स्तिबुक] जी० ११६४,६५ थिभुग [स्तिबुक] जी० ३१६५६ थिभुय [स्थिबुक ] जी० ३.६४३ थिमिओदय [दे० स्तिमितोदक] ओ० १११ से ११३,१३७,१३८ थिमिय [दे० स्तिमित ] ओ०१. रा० १,७५, ६६८,६६६,६७६,६७७ पिर [स्थिर ओ० १६. रा० १२,७५८,७५६. जी० ३।११८,५९६,१०६८ | पिल्लि [दे०] ओ० १००,१२३. जी० ३।५८१, ५८५,६१७ ची? [दे०] जी० ११७३ थुिक्कार [थूत्कारय]-थुक्कारेंति. रा० २८१. जी० ३।४४७ थम स्तूप] जी० ३।४१२,५६७,६०४ थूभमह [स्तूपमह ] रा०६६८. जी० ३१६१५ पभाभिमुह [स्तूपाभिमुख ] रा० २२५. जी० ३।३८४,८६६ यूभियग्ग [स्तूपिकान] ओ० १६२ थूभियाग [स्तूपिकाक] रा० ३२,१२६, १३०, १३७,२१०,२१२. जी० ३१३००,३०७,३५४, ३७२,३७३,६४७,८८५ थूभियाय [स्तूपिकाक] जी० ३।३०० थूल [स्थूल] ओ० ७७ थूलय [स्थूलक ] ओ० ११७,१२१. रा० ७९६ थेज्ज [स्थैर्य] रा० ७५० से ७५३ थेर [स्थविर] ओ० २५,४०,१५१. रा० ६८७, ८१२. जी० १११; ३१ थेरवेयावच्च [स्थविरवैयावृत्य] ओ० ४१ थलचरी [स्थलचरी] जी० २।३,५,५१,६९,७२, १४६,१४६ थवइय [स्तबकित] ओ० ५,८,१०. रा० १४५. जी० ३।२६८,२७४ थाम [स्थामन् ] ओ० २७ थारुइणिया [थारुकिनिका] ओ० ७०. रा. ८०४ थाल [स्थाल] रा० १५०,२५८,२७६. जी० ॥३२३,३५५,४१६,४४५,५८७,५६७ थालइ [स्थालकिन् ] ओ०६४ थालिपाक [स्थालीपाक] जी० ३।६१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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