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________________ एगत्तवियक्क-एमेव ५८४ एगत्तवियक्क [एकत्ववितर्क ] ओ० ४३ एगूरुइया [एकोरुकिका] जी० २११२ एगत्ताणुप्पेहा [एकत्यानुप्रेक्षा] ओ० ४३ एगूरुय [एकोरुक] जी० ३।२१६ से २२२,२२७ एगत्तिभावकरण [एकत्वीभावकरण] ओ० ६६,७० एगूरुयदीव [एकोरुकद्वीप जी० ३।२२२,२२७ एमत्तीभावकरण [एकत्वीमावकरण] रा० ७७८ । एगोणचत्तालीस [एकोनचत्वाशित् ] जी० ३।७९६ एगदंत [एकदन्त ] जी० ३।५६६ एगोणवीस [एकोनविंशति] जी० ३।१०५३ एगदिसा [एकदिशा] रा०६८८ एगोदग [एकोदक] जी० ३।७६५ एगपदेसिया एकप्रादेशिक जी० ३१७२३,७२६ एगोरुय [एको रुक] जी० ३१२१६,२१७,२२६ एगभूय [एक भूत्] रा० ११६ एगोरुयदीव [एकोरुक द्वीव] जी० ३२१७,२१८ एगमेग [एकक] रा० १२६,१६२ से १६४,१६१. एज्जमाण [एजमान] रा० ४०,१२३,१३२. जी० ३.१०६,२६५,३५४,३५५,६३२,६६१, जी० ३।२६५ ७२३,७२६,६०१,१०००,१०२३ ‘एड [इल एड्].-.एडेइ. रा० ७६५-एडेति. एगराइया [एक रात्रिकी ओ० २४ रा० १२---एडेइ. रा०६ एगसट्टि [एकषष्टि] जी० ३।११० एडित्ता [एलित्वा,एडित्वा] ओ० ११७. रा० १२ एकसाडिय [एकसाटिक] ओ० २१,५४,६६. एडेत्ता [एलित्वा,एडित्वा] रा०६ रा० ८,७१४,७७८ एणी [ एणी] ओ० १६. जी० ३१५९६ एगसालग | एकश लक] जी. ३१५६४ एतारूव [एतद्रूप] जी० ३।२७८ से २८२,२८४, एगसिद्ध [एकसिद्ध] जी० ११८ २८५,३८७,४४२,८६०,८६६,८७२,८७८ एगागार [एकाकार] जी० १११०६,११६,३१८ से एत्तो [इतस् ] ओ० ३३. रा० २६. जी० ३१८४ ११,२१३,६५४ एत्थ [अत्र] ओ० १३. रा० ३. जी० ३७७ एगाभिमुह [एकाभिमुख रा०६८८ एमहज्जुईय [इयन्महद्युतिक] ० ६६६ एगावलि एकाबलि ] ओ० २४,१०८,१३१. एमहज्जुतीय [स्यामहद्युतिक] जी० ३।५६५ रा० ६६,२८५. जी० ३।५६३ एमहब्बल | इयन्महाबल ] रा० ६६६. एगावलिपविभत्ति [एकावलिप्रविभक्ति ] रा० ८५ जी० ३।५६५ एगासीइ एकाशीति जी० ३७०६ एमहाणुभाग | इयन्नहानुभाग] रा० ६६६. एगाह । एकाह] जी० ३।८६,११८,११६ जी० ३।५६५,६४० एगाहच्च [ एकाहत्य] रा० ७५१,७६७ एमहायस [इयन्महायशस्] रा०६६६. एगाहिय एकाहिक जी० ३१६२८ जी० ३१५६५ एगिदिय एकेन्द्रिय ] जी० ११५५; २।१०१,१०२, एमहालत यन्म त् जी० ३।८६,१७६,१७८ ११०,१११,१२०,१२६,१३६,१३८,१४६,१४६; एमहालय | इयन्महत् ] रा० ७३२,७३७. ३।१३० से १३५,१११५, ४१ से ३, ५ से जी०३।१८२,१०८० ७,१०,११,१६,१६ से २२,२५, ६।२ से ७, एमहासोक्ख यन्महासौख्य रा० ६६६. १६७,१६६,२२१,२२२,२२,२३१ जी० ३।५६५ एगुणयाल एकोनचत्वारिंशत् | जी० ३१७६४ एगणपण्ण एकोनपञ्चाशत् रा० ७१. एमहिड्डिय यन्महधिक] जी० ३।६३८ जी० ११८८ एमहिड्डीय श्यन्महधिक] १० ६६६. जी० ३१५६५, एगूणवीस [एकोनविंशति ] जो० ३।१०५३ ५६८,७०१,७६४ एगणासोति [एकोनाशीति] जी० ३।२१८ एमेव [एवमेव] जी० ३।२२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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