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________________ इंदाभिसेय-इन्भ ५७७ इंदाभिसेय [इन्द्राभिषेक ] रा० २७८ से २८१ इडि [ऋद्धि ] ओ० ४७,६५,६७,७२,८६ से १५, __ जी० ३१४४४,४४८,४४६ ११४,११७,१५५,१५७ से १६०.१६२,१६७. इंदिय [इन्द्रिय] ओ० ६३. जी० १३१४,२२,८६, रा० १३,१५ से १७,५५,५६,५८,२८०,२६१, ८८,६०,६६,१०१,११६,१२८,१३६, ३।५६२, ६५७,७७२,८०३,८०५. जी० ३१४४६,४४८, ६०२,९७६ ४५७,५५७,६०६ इंदियपज्जत्ति [इन्द्रियपर्याप्ति ] रा० २७४,७६७. इण [एतत् ] जी० ३।५ जी० १।२६; ३।४४० इणं [इदम्] ओ० ७२ इंदियपरिसंलीणया [इन्द्रियप्रतिसंलीनता] ओ० इति [इति] रा० ८. जी० ३।११८ ३७ इतिहास [इतिहास] ओ०६७ इंदु [इन्दु] रा० २५५. जी० ३।४१६ इत्तरिय [इत्वरिक ] ओ० ३२ इक्कमिक्क [एकक] जी० ३।१२७ इत्ति [इति] जी० १।१३६ इक्खाग [इक्ष्वाकु] रा० ६८८ इत्तो [इतस् ] ओ० १६५।१७. रा० २५. इक्खगपरिसा [इक्ष्वाकुपरिषद् ] ग० ६१ जी० ३।२७८ इक्खुवाड [इक्षुवाट] रा० ७८१,७८४,७८६, इत्थ [अत्र] जी० ३।२४४ ७८७ इत्थंठिय [इत्थंस्थित] ओ०७२ इगयालीस [एकचत्वारिंशत् जी० २१७६८ इत्थि [स्त्री जी० २०१०५ इच्छ [इष]-इच्छइ रा० ७५१-इच्छसि इथिकहा [स्त्रीकथा] ओ० १०४,१२७ रा० ७६५-इच्छसी जी० ३।८३८।२६ इत्थिया [स्त्री] ओ० ६२. जी० २।११,१५ से १६, -इच्छामि रा०६३-इच्छेज्ज रा० ७५१ ३७,६७ से ७२,७४,१४४,१४६ से १४८,१५१; -इच्छेज्जा रा० ७५१ ३९८ इच्छा [इच्छा] ओ० ४६ इथिलक्खण [स्त्रीलक्षण] ओ० १४६. रा० ८०६ इच्छापरिमाण [इच्छापरिमाण] ओ० ७७ इस्थिवेद [स्त्रीवेद] जी० १।१३६; २०७३,७४; इच्छिय [इष्ट] ओ० २३,६९. रा० ६६५ ६१२६ इच्छियपरिच्छिय [इष्टप्रतीप्ट ] ओ० ६६. इत्थिवेदग [स्त्रीवेदक] जी०६।१३० रा०६६५ इत्थिवेय [स्त्रीवेद] जी० १२५,१३३ इट्ठावाय [इष्टकापाक] जी० ३१११८ इत्थिवेयग [स्त्रीवेदक] जी० ६।१२१ इट्ठ [इष्ट] ओ० १५,६८,११७. रा० ६७२,६८५, । ओ०१५ ११७. रा० ६७२.४५. इत्थिवेयय [स्त्रीवेदक] जी० ६।१२२ ७१०,७५० से ७५३,७७४,७६६. इत्थी [स्त्री] ओ० ३७. जी०२।१ से ३,६,१०, जी० १११३५, ३१०६०,१०९६,११२४ १४,२० से ३०,३२ से ३६,३६ से ४६,५४, इटुतर [इष्टतर] जी० ३।१०७८, १०७६ ५६ से ६६,७०,७६,७८,८०,८३,८५.८६,६४, इट्ठतराय [इष्टतरक] रा० २५ से ३१,४५. १०५,१४१ से १५१; ३३१४८,१४६,१६४ इत्थीलिंगसिद्ध [स्त्रीलिङ्गसिद्ध] जी०१८ जी० ३१२७८ से २८४,६०१,६०२,८६०,८६६, इदाणि [इदानीम् ] जी० ३१८४३ ८७२,८७८,६५६,६६१ इन्भ [इभ्य ] ओ० २३,५२,६३. रा०६८७ से इड्रग [दे०] रा० ७७२ ६८६,६६५,७०४,७५४,७५६,७६२,७६४. इड्रय [दे०] रा० ७७२ जी० ३१६०९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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