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________________ ५३७ म्मिलियम्मि अहापंडुरे पभाए रत्तासोगपगासकिंसुय-सुयमुह-गुंजद्धरागसरिसे कमलागर-णलिणिसंडबोहए उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते। भगवती २।१६६ कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पल-कमल कोमलुम्मिलियम्मि अहपंडुरे पभाए रत्तासोयप्पकासे किंसुय - सुयमुह - गंजद्धरागसरिसे कमलागरसंडबोहए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते । नायाधम्मकहाओ १११।२४ (अतिरिक्त पाठ) अणुओगदारं, लोइयं दवावस्सयं सू० १६ अनगार-प्रव्रज्या ओवाइय सूत्र २३ : आयार-चूला १।२६ : चइत्ता हिरण्णं चिच्चा सवण्णं चिच्चा धणं एवं- चिच्चा हिरण्णं, चिच्चा सुवण्णं, चिच्चा बल, चिच्चा धण्णं बलं वाहणं कोसं कोडागारं रज्जं रट्ठ पुरं वाहणं चिच्चा धण-धण्ण-कणय-रयण-संत-सारअंतेउरं, चिच्चा विउलधण - कणग-रयण-मणि- सावदेज्ज, विच्छड्डेत्ता, विगोवित्ता, विस्साणित्ता, मोत्तिय-संख-सिलप्पवाल-रत्त-रयणमाइयं संत-सार- दायारेस णं दायं पज्जभाएत्ता सावतेज्ज, विच्छड्डइत्ता विगोवइत्ता, दाणं च दाइ- रायपसेणइयं सूत्र ६६५ : याणं परिभायइत्ता, मुंडा भवित्ता अगाराओ चिच्चा हिरण्णं, एवं–धणं धण्णं बलं वाहणं कोसं अणगारियं पव्वइया। कोदागारं पुरं अंतेउर, चिच्चा विउलं धण-कणगरयण-मणि - मोत्तिय - संख-सिल-प्पवाल-संतसारसावएज्जं, विच्छत्तिा विगोवइत्ता, दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता, मुंडा भवित्ता णं अगाराओ अणगारियं पव्वयंति। सूत्र २४,३२,३४,३५,३६ सूत्र २५,२६ निर्ग्रन्थ-तप-वर्णक पण्हावागरणाई ६६ रायपसेणइयं सूत्र ६८६ भगवती २९५ नायाधम्मकहाओ १३१२४ भगवती २२५५ रायपसेणइयं सूत्र ८१३ निरयावलियाओ ३४ पण्हावागरणाई १०।११ सूत्र २७ सूत्र २७,२८,२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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