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________________ १७३ १११०० १११०१ (ता) (ग) २१५६ २।६० २०७४ २।१२ २।२४१ २।१४६ ३६ ३३३३ ३१४८ ३७३ ३१७७ थीहू तहप्पगारा दुआगइया आहारो पलिओवमाई अब्भहियाई फुफुअग्गि वासपुहत्तं एतासि वणस्सति° जोयण आवबहुले अबाधाए जे णं इमं असीउत्तरं अडहत्तरे किण्हपुड बाहल्लेणं केरिसगा फुडित° उसिणवेदणिज्जेसु विरचिय एगाहं एत्थ जंबूणदमया उवगारियालय ३१७७ किण्णपुड छिरियविरालिया (ग,ट); छीरवीराली (ता) थिभु तहप्पकारा (क,ख,ग,ट) दुयागतिया (ग) आधारो पलितोवमाई (क,ख,ग,ट) अब्भधियाई (ग) फुफअग्गि (क); पुंफअग्गि वासपुधत्तं (क); वासपुहुत्तं (ग,ट) एतेसि (क,ख,ग,ट); एगासि वणप्फइ° (क,ख,ग) जोतण अवबहुले (क); आवबहुले आबाधाए जेणिमं (ता) आसीउत्तरे (ता) अडसत्तरी (ग); अछुत्तरे (क,ग) पाहलेणं केरिसता (क,ख,ग) फुडिग (ता); (मवृ) उसुणवेदणिज्जेसु (ता) विरइय (क,ग,ट) एकाहं (ख,ग,ट) तत्थ (क,ख,ग,ट); यत्थ (ता) जंबूणतमया (क); जंबूणतामया (ग,ट,ता) ओवारियलयण (क,ख,ग,ट,त्रि;) उवकारियलयणे (ता) थंभुग्गय (क,ग) धूमधडियाओ (क,ख) उब्धितिय (क,ख); उविश्य बादालोस बातालीसं (ता) केतिलासे (ख); कइलासे (ग,ट,त्रि) इऊयाल (क); ऊयाल (ख,ता;) (ग) ३१८० ३।१४ स्फुटित ३।११८ ३।११८ ३।११६ ३।२३४ ३३३२३ ३।३७१ ३३३७२ ३।४१२ ३१५६३ ३१७३३ ३१७५० ३१७४८ ३१७६४ खंभुग्गय धूवधडियाओ ओवियः बायालीसं (ता) केलासे एगुणयालं इगुयालं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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