SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशकीय आगम संपादन एवं प्रकाशन की योजना इस प्रकार है१. आगम-सुत्त ग्रंथमाला----मूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित आगमों का प्रस्तुती करण। २. आगम-अनुसंधान ग्रन्थमाला--मूलपाठ, संस्कृत छाया, अनुवाद, पद्यानुक्रम, सूत्रानुक्रम तथा मौलिक टिप्पणियों सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण । ३. आगम-अनुशीलन ग्रन्थमाला---आगमों के समीक्षात्मक अध्ययनों का प्रस्तुतीकरण । ४. आगम-कथा ग्रन्थमाला-----आगमों से संबंधित कथाओं का संकलन और अनुवाद । ५. वर्गीकृत-आगम ग्रन्थमाला-आगमों का संक्षिप्त वर्गीकृत रूप में प्रस्तुतीकरण । ६. आगमों के केवल हिंदी अनुवाद के संस्करण । प्रथम आगम-सुत्त ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं(१) दसवेआलियं तह उत्तरज्झयणाणि (२) आयरो तह आयारचूला (३) निसीहज्झयणं (४) उववाइयं (५) समवाओ (६) अंगसुत्ताणि (खं० १)-इसमें आचारांग, सूत्रकृतांग, स्थानांग, समवायांग-ये चार अंग समाहित हैं। (७) अंगसुत्ताणि (खं० २)--इसमें पंचम अंग भगवती प्रकाशित है। (८) अंगसुत्ताणि (खं० ३)-इसमें ज्ञाताधर्मकया, उपासकदशा, अंतकृतदशा, अनुत्तरोपपातिक दशा, प्रश्नव्याकरण और विपाक-ये ६ अंग हैं। (९) नवसुत्ताणि (खं० ५)--इसमें आवस्सयं, दसवेआलियं' उत्तरज्झयणाणि, नंदी, अणओगदाराई, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसीहज्झयण-ये नौ आगम ग्रन्थ हैं। उक्त में से प्रथम पांच ग्रन्थ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित हए हैं एवं अंतिम चार ग्रन्थ जैन विश्व भारती, लाडन द्वारा प्रकाशित हुए हैं। द्वितीय आगम अनुसंधान ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं १) दसवेवालियं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy