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________________ कणग जाव दलयइ कणग जाव पडिमाए कणग जाव सावएज्ज कणग जाब सिलप्पवाले कयकोउय जाव सब्वालंकारविभूसिया कयत्थे जाव जम्म० कयवलिकम्मं जाव सव्वालंकारविभूसियं कयबलिकम्मा जाव पायच्छित्ता कलिकम्मा जाव विपुलाई जाव विहरइ कयवलिकम्मे जाव रायगिहं कवलिकम्मे जाव सरीरे कवलिकम्मे जाव सध्वालंकार० करयल ० करयल० करयल० करयल अंजलि करयल जाव एवं करयल जाव एवं करवल जाव कट्ट् करयल जाव कट्टु तहेव जाव समोसरह करयल जाव कण्हं करयल जाव पच्चप्पिणंति करयल जाव पडणेइ करयल जाव वद्धावेइ करमल जाय बढावेंति करयल जाव वृद्धावेंति करयल जाव वढावेता करयल जाव वद्धावेहि करयल तं चैव जाव समासोरह करयल तहत्ति जेणेव करयलपरिग्गहियं जाब अंजलि Jain Education International १।१६।१६८ १/८/१६० १।१८।३८ १।१८/३३ १।१८१ १।१३।२५ १/१६/७३ १।१।२७ १।१।३२ १।२।५८ ११.६६ १।१।४७ १।५।६८, १२३ ११८७३,८१,१८, १५० १६० १||३१:१।१४१३१,५० १८१२०३,२०४,१।१६।१३७,१६१, २१६,२६४; १।१७।११ १।१६।२४६ ११५५, ६० १।१।३०३१।१६।१७०,२९२: १।१२।१३,४६२।१।२० १६ १७ १ १४।२७,२८,१।१६।४३ १।१।११८; १।१६।१३३,२।१।११ १।१६।१४२ १।१६।१३८ १८१९६ १२८।११५ १।१५।१८ १।१६।२३६ १।१७।२६ १८१३१:१।१६।२४४ १२८।१०७ १।१६।१३४ १।१४।१३ १।१।२१ For Private & Personal Use Only १११ १२८/४१ १।१।११ १०११११ १।२।२६ १।१३।२५ ११११८१ १।१।३३ १२६६ १।१।२१ १।१।२७ १२१२५१ १।१।१९ १।१।२६ १।१।३६ १।१।१९ १।१।२६ १।१।२१ १।१।२६ १।१६।१३२ १।१६।१३७ १८१६५ १।१।२६ १|१|४८ १|१|४८ १।१।२६ १|१|४८ १|१|४८ १।१६।१३२ १।५।१३ १।१।१६ www.jainelibrary.org
SR No.003553
Book TitleAngsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages922
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size15 MB
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