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चउत्थं अग्झपणं (च उत्थं पासवदार) सुरगणस्स प्रबंभ-पदं
तं च पुण निसेवंति सुरगणा समच्छरा मोह-मोहिय-मती, असुर-भयग'-गरुलविज्जु-जलण-दीव-उदहि-दिस-पवण-थणिया। अणवण्णिय-पणवण्णिय-इसिवादिय-भूयवादियकंदिय-महाकंदिय-कहंड-पतगदेवा', पिसाय-भूय-जक्ख-रक्खसकिन्नर-किंपुरिस - महोरग - गंधव्व - तिरिय- जोइस-विमाणवासि-मणुयगणा, जलयर-थलयर-खहयराय मोहपडिबद्धचित्ता वितण्हा कामभोगतिसिया.तण्हाए बलवईए महईए समभिभया गढिया य अतिमूच्छिया य, अबंभे प्रोसण्णा, तामसेण भावेण अणुम्मुक्का, दंसण-चरित्तमोहस्स पंजरं पिव करेंति
'अण्णोण्णं सेवमाणा॥ चक्कवट्टिस्स प्रबंभ-पदं ४. भुज्जो असुर-सुर-तिरिय-मणुय-भोगरति-विहार-संपउत्ता य चक्कवट्टी
सुरनरवतिसक्कया सुरवरव्व देवलोए भरह -णग-णगर-णियम-जणवय-पुरवरदोणमुह-खेड-कब्बड-मडंब-संबाह-पट्टण-सहस्समंडियं थिमिय-मेयणियं एगच्छत्तं ससागरं भंजिऊण वसुहं नरसीहा नरवई नरिंदा नरवसभा मरुय-वसभकप्पा, अब्भहियं रायतेय-लच्छीए दिप्पमाणा सोमा रायवंस-तिलगा। रवि-ससि-संख-वरचक्क - सोत्थिय - पडाग-जव-मच्छ-कुम्म-रहवर-भग-भवणविमाण-तुरय-तोरण-गोपुर-मणि-रयण-नंदियावत्त-मुसल-णंगल-सुरइयवरकप्परुक्ख-मिगवति-भद्दासण-सुरुचि - थूभ-वरमउड-सरिय - कुंडल-कुंजर-वरवसभदीव-मंदिर-गरुल-द्धय-इंदकेउ - दप्पण - अट्ठावय - चाव-बाण-नक्खत्त-मेह-मेहलवीणा-जुग-छत्त-दाम-दामिणि-कमंडलु-कमल-घंटा-वरपोत-सुइ-सागर-कुमुदगारमगर-हार-गागर-नेउर-णग-णगर-वार- किन्नर - मयुर - वररायहंस - सारसचकोर-चक्कवागमिहुण-चामर - खेडग -पव्वीसग-विपंचि-वरतालियंट-सिरियाभिसेय-मेइणि-'खग्ग-ग्रंकूस-विमलकलस -भिंगार-वद्धमाणग-पसत्थ-उत्तमविभत्तवर-पुरिसलक्खणधरा। बत्तीसं रायवरसहस्साणुजायमग्गा चउसट्ठिसहस्सपवरजुवतीण णयणकता
१. भुयंग (क)।
५. अण्णमण्णं ° (च); अण्णोण्णस्स सेवणया २. दिसि (ख, च)।
___ (वृ); अण्णोण्णं सेवमाणा (वृपा)। ३. पतंग० (क, ख, ग, घ, च)।
६. भरध (क, ग)। ४. अणुमुक्का (क, ख, ग, घ, च); आदर्शेषु ७. तुरत (क); तुरग (ख, घ, च)।
एतत् पदं लभ्यते. किन्तु नैतत् शुद्धमस्ति। ८. सुरुवि (क, घ, च) उन्मुक्तपदस्य प्राकृतरूपं 'उम्मुक्क' इति ६. खग्गंकुस (क, ख, ग, घ, च)। जायते । न उम्मुक्का=अणुम्मुक्का। १०. वरराय ° (क, ग)।
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