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________________ तइय अज्झयण (तइयं आसवदार) ६५६ चिंधपट्ट-गहियाउहपहरणा माढि-गुड-वम्मगुडिया' प्राविद्धजालिका कवयकंकडइया' उरसिरमुह-बद्धकंठतोण-माइयवरफलगरचित-पहकर-सरभसखरचावकर-करंछिय-सुनिसितसरवरिसचडकरक-मुयंतघणचंडवेग-धारानिवायमग्गे, अणेगधणुमंडलग्ग-संधित-उच्छलियसत्तिकणग-वामकरगहियखेडगनिम्मलनिक्किट्ठखग्ग - पहरंतकोंत - तोमर - चक्क-गया-परसु-मुसल-लंगल-सूललउल' - भिडिमाल-सब्बल-पटिस-चम्मेट - दघण-मोदिया-मोग्गर-वरफलिहजंतपत्थर - दुहण-तोण - कुवेणी- पीढकलिए, ईली - पहरण-मिलिमिलिमिलंतखिप्पंत-विज्जुज्जलविरचितसमप्पहणतले, फुडपहरणे, महारण-संख-भेरिवरतूर-पउरपडपडहाहय-णिणाय-गंभीरणंदित-पक्खुभियविपुलघोसे, हय-गयरह-जोह-तुरिय-पसरित-रउद्धत-तमंधकारबहुले, कातरनर-णयणहिययवाउलकरे, विलुलिय - उक्कडवर - मउड - तिरीड - कुंडलोडुदामाडोवियपागडपडाग-उसियज्झय-वेजयंति-चामरचलंत-छत्तंधकारगंभीरे, यहेसियहत्थिगुलुगुलाइय-रहघणघणाइय - पाइक्कहरहराइय-अप्फोडियसीहनाय-छेलियविघुटुक्कुट्ठ-कंठकयसद-भीमगज्जिए, सयराहहसंत-रुसंत-कलकलरवे, आसूणियवयण-रुद्दभीम-दसणाधरोट्ठ-गाढदट्ठ-सप्पहारणुज्जयकरे, अमरिसवसतिव्वरत्त-निद्दारितच्छे, वरदिट्ठि-कुद्धचेट्ठिय-तिवलीकुडिलभिउडि-कयनिलाडे, वधपरिणय-नरसहस्स-विक्कम-वियंभियबले, वग्गंततुरंग-रहपहाविय-समरभडावडिय-छेय-लाघव-पहारसाधित - समूसवियवाहुजुयल-मुक्कट्टहास-पुक्कत -बोलबहुले, फुरफलगावरणगहिय-गयवरपत्थेत-दरियभडखल-परोप्परवलग्गजद्धगविय - विउसितवरासिरोसतूरियाभिमहपहरेंत - छिन्नकरिकर-वियंगितकरे. अवइद्ध-निसद्धभिन्न-फालिय-पगलिय-रुहिरकय-भूमिकहम-चिलिच्चिलपहे, कुच्छिदालिय - गलंत-निभेलितंत-फुरुफुरंत"-विगल-मम्माहय-विकय२गाढदिन्नपहारमुच्छित - रुलंत - विब्भल - विलावकलुणे हयजोह - भमंततुरगउद्दाममत्तकुंजर-परिसंकितजण - निवुक्कच्छिन्नधय - भग्गरहवर - नट्ठसिरकरि १. माढिवरवम्मगुडिया(वृ); माढिगुडवम्मगुडिया ७. °धय (ख, च)। (वृपा)। ८. फुक्कंत (ख, घ, च)। २. कवया (ख, च)। ६. फलफलगा (क, ग, घ); फडफलगा (च)। ३. कंककडइया (क)। १०. विभंगितकरे (क, ख, ग, घ, च)। ४. निवायमंते (वृपा)। ११. फुरफरेंत (क, घ)। ५. लउड° (ख)। १२. विहिय (ख, च)। ६. मुट्ठि (क); मोट्ठि (ख)। १३. बेभल (ख, ग, घ, च)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003553
Book TitleAngsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages922
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size15 MB
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