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सत्तमं अज्झयणं (सद्दालपुत्ते)
एक्कारस य उवासगपडिमानो सम्म काएणं फासित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सढि भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता, आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणच्चए विमाणे देवत्ताए उववण्णे । चत्तारि पलिग्रोवमाइं ठिई पण्णत्ता। ° महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ
मुच्चिहिइ सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ ॥ निक्खव-पदं ८६. "एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं उवासगदसाणं सत्तमस्स
अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते ° ।।
१. सं० पा० -निक्खेवो।
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