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________________ छ8 ठाणं ७२५ ६२. छव्विहा ईहामती पण्णत्ता, तं जहा–खिप्पमीहति, बहुमोहति', 'बहुविधमीहति, धुवमीहति, अणिस्सियमीहति °, असंदिद्धमीहति ॥ ६३. छविधा अवायमती पण्णत्ता, तं जहा--खिप्पमवेति', 'बहुमवेति, बहुविधमवेति, धुवमवेति, अणिस्सियमवेति °, असंदिद्धमवेति ॥ ६४. छव्विहा धारणा [मती ? ] पण्णत्ता, तं जहा-बहुं धरेति, बहुविहं धरेति, पोराणं धरेति, दुद्धरं धरेति, अणि स्सितं धरेति, असंदिद्धं धरेति ॥ तव-पदं ६५. छविहे बाहिरए तवे पण्णत्ते, तं जहा–अणसणं, ओमोदरिया, भिक्खायरिया', रसपरिच्चाए', कायकिलेसो, पडिसलीणता ॥ ६६. छव्विहे अब्भंतरिए तवे पण्णत्ता, तं जहा-पायच्छित्तं, विणओ, वेयावच्चं, __ सज्झाओ', झाणं, विउस्सग्गो ॥ विवाद-पदं ६७. छविहे विवादे पण्णत्ते, तं जहा -ओसक्कइत्ता', उस्सक्कइत्ता', अणुलोमइत्ता', पडिलोमइत्ता, भइत्ता, भेलइत्ता॥ खुड्डपाण-पदं ६८. छव्विहा खुड्डा पाणा पण्णत्ता, तं जहा -- 'बंदिया, तेइंदिया, चउरिदिया, समुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणिया, तेउकाइया, वाउकाइया॥ गोयरचरिया-पदं ६९. छव्विहा गोयरचरिया" पण्णत्ता, तं जहा-पेडा, अद्धपेडा, गोमुत्तिया", पतंग वीहिया", संबुक्कावट्टा", गंतुंपच्चागता॥ महाणिरय-पदं ७०. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए छ १. सं० पा.-बहुमीहति जाव असंदिद्धमीहति। ८. संकामइत्ता (क, ग)। २. स० पा०-खिप्पमवेति जाव असंदिद्ध°। ६. भेलतित्ता (क, ख, ग); भेयइत्ता (वृपा)। ३. भिक्खातरिता (क, ख, ग)। १०. खुड्ड (क)। ४. रसपरिच्चाते (क, ख, ग)। ११. वाचनान्तरे तु सिंहाः व्याघ्रा वृका दीपिका ५. अहेव सज्झाओ (ख)। ऋक्षास्तरक्षाः (वृ)। ६. ओक्कस्सतित्ता (क, ग); ओसक्कावइत्ता १२. ° चरिता (ख, ग)। (वृपा)। १३. गोमुत्तिता (क, ख, ग)। ७. उक्कस्सइत्ता (क, ग); ओसक्कइत्ता (वृ); १४. विहिया (क, ख, ग)। उस्सक्कावइत्ता (वृपा)। १५. संबुक्कवट्टा (ख, ग)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003551
Book TitleAngsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1108
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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