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________________ ६८ ठाणं १०८. पंचहि ठाणेहिं समणे णिग्गंथे अचेलए सचेलियाहि णिग्गंथीहिं सद्धि संवसमाणे णातिक्कमति, तं जहा -- १. खित्तचित्ते' समणे णिग्गंथे णिग्गंथेहिमविज्जमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथी हिंसद्धि संवसमाणे णातिक्कमति । २. दित्तचित्ते' समणे णिग्गंथे णिग्गंथेहिमविज्जमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं णिग्गीहिंसद्धि संवसमाणे णातिक्कमति । ३. जक्खाइट्ठे समणे णिग्गंथे णिग्गंथेहिमविज्जमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धि संवसमाणे णातिक्कमति । ४. उम्मायपत्ते समणे णिग्गंथे णिग्गंथेहिमविज्जमाणेहिं अचेलए सचेलियाहि णिग्गंथी हिंसद्धि संवसमाणे णातिक्कमति । ५. णिग्गंथीपव्वाइयए समणे णिग्गंथेहि अविज्जमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धि संवसमाणे णातिक्कमति ॥ आसव-संवर-पदं १०६. पंच आसवदारा पण्णत्ता, तं जहा - मिच्छत्तं, अविरती, पमादो, कसाया, जोगा ॥ ११०. पंच संवरदारा पण्णत्ता, तं जहा - संमत्तं विरती, अपमादो, अकसाइत्तं अजोगित्तं ॥ दंड-पदं १११. पंच दंडा पण्णत्ता, तं जहा - अट्ठादंडे, अणट्ठादंडे, हिंसादंडे, अकस्मादंडे, दिट्ठीविपरियासियादंडे || किरिया - पदं ११२. पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा – आरंभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अपच्चक्खाणकिरिया, मिच्छादंसणवत्तिया ॥ ११३. मिच्छादिट्ठियाणं णेरइयाणं पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा – आरंभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अपच्चक्खाण किरिया, मिच्छादंसणवत्तिया ॥ १. खेत्तइत्ते (क, ख, ग ) । २. सं० पा० - एवमेतेणं गमएणं दित्तचित्ते जक्खातिट्ठे उम्मायपत्तं । ३. वित्ततित्ते (क, ख, ग ) । Jain Education International ४. कसाता (क, ख, ग ) । O ५. अम्हा ० ( ख ) । ६. मातावत्तिता ( क, ख, ग ) । ७. सं० पा० - तंजहा जाव मिच्छादंसणवत्तिया । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003551
Book TitleAngsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1108
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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