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________________ बीअं ठाणं ( पढो उद्देसो) ५०६ अहवा - चरिमसमयबुद्धबोहियछ उमत्थ खीणकसायवीयरागसंजमे चेव, अचरिमसमयबुद्धबोहियछ उमत्थ खीण कसायवीय रागसंजमे चेव || १२०. केवलिखीणकसायवीय रागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सजोगिकेव लिखीणकसायवीय रागसंजमे चेव, अजोगिकेवलिखीणकसायवीय रागसंजमे चेव ॥ १२१. सजोगिकेवलिखीण कसायवीय रागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -- पढमसमयसजोगिव लिखाण कसायवीय रागसंजमे चेव, अपढमसमयसजोगिकेव लिखीणकसायवीय रागसंजमे चेव । अहवा - चरिमसमयसजोगि के वलिखीण कसायवीय रागसंजमे चेव, अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीण कसायवीय रागसंजमे चेव ॥ १२२. अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -- पढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे चेव, अपढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीय रागसंजमे चेव । अहवा --- चरिमसमयअजोगिके व लिखीण कसायवीयरागसंजमे चेव, अचरिमसमयअजोग केवल खीणकसायवीयरागसंज मे चेव ॥ जीव- णिकाय-पदं बायरा चेव ॥ बायरा चेव ॥ बायरा चेव ॥ १२३. दुविहा पुढविकाइया पण्णत्ता, तं जहा - सुहुमा चेव, १२४. दुविहा आउकाइया पण्णत्ता, तं जहा - सुहुमा चेव, १२५. दुविहा तेउकाइया पण्णत्ता, तं जहा सुहुमा चेव, १२६. दुविहा वाउकाइया पण्णत्ता, तं जहा सुहुमा चेव, बायरा चेव ॥ १२७. दुविहा वणस्सइकाइया पण्णत्ता, तं जहा - सुहुमा चेव, बायरा चेव ॥ १२८. दुविहा पुढविकाइया पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्तगा चेव, अपज्जत्तगा चेव ॥ १२६. दुविहा आउकाइया पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्तगा चेव, अपज्जत्तगा चेव ॥ १३०. दुविहा तेउकाइया पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्तगा चेव, अपज्जत्तगा चेव ॥ १३१. दुविहा वाउकाइया पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्तगा चेव, अपज्जत्तगा चैव ॥ १३२. दुविहा वणस्स इकाइया पण्णत्ता, तं जहा -- पज्जत्तगा चेव, अपज्जत्तगा चेव ° ॥ १३३. दुविहा पुढविकाइया पण्णत्ता, तं जहा - परिणया चेव, अपरिणया चेव || १३४. दुविहा आउकाइया पण्णत्ता, तं जहा - परिणया चेव, अपरिणया चेव ॥ १३५. दुविहा तेउकाइया पण्णत्ता, तं जहा - परिणया चेव, अपरिणया चेव ॥ १३६. दुविहा वाउकाइया पण्णत्ता, तं जहा - परिणया चेव, अपरिणया चेव || १३७. दुविहा वणस्सइकाइया पण्णत्ता, तं जहा-परिणया चेव, अपरिणया चेव || Jain Education International १. सं० पा० एवं जाव दुविहा । २. सं० पा० एवं जाव वणस्सइकाइया । ३. सं० पा० एवं जाव वणस्सइकाइया । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003551
Book TitleAngsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1108
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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