________________
४६०
ठाणं
१६. एगे मणे॥ २०. एगा वई॥ २१. एगे काय-वायामे ॥ २२. एगा उप्पा॥ २३. एगा वियती॥ २४. एगा वियच्चा।। २५. एगा गती। २६. एगा आगती॥ २७. एगे च यणे ॥ २८. एगे उववाए॥ २६. एगा तक्का ।। ३०. एगा सण्णा ॥ ३१. एगा मण्णा ॥ ३२. एगा विण्णू ॥ ३३. एगा वेयणा ॥ ३४. एगे छेयणे ॥ ३५. एगे भेयणे। ३६. एगे मरणे अंतिमसारीरियाणं । ३७. एगे संसुद्धे अहाभूए पत्ते ॥ ३८. 'एगे दक्खे" जीवाणं एगभूए ।। ३६. एगा अहम्मपडिमा, 'जं से" आया परिकिलेसति ।। ४०. एगा धम्मपडिमा, जं से आया पज्जवजाए। ४१. एगे मणे देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि ।। ४२. एगा वई देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि ।। ४३. एगे काय-वायामे देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि ।। ४४. एगे उट्ठाण-कम्म-बल-वीरिय-पुरिसकार'-परक्कमे देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि
समयंसि॥ ४५. एगे णाणे॥ ४६. एगे दंसणे ॥
१. एगहक्खे (वृपा)। २. जंसि (वृपा)। ३. पज्जवज्जाए (ख)।
४. वती (क, ख, ग)। ५. पुरिसक्कार (क)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org