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सूयगडो१
२४. जो परिभवई परं जणं संसारे परिवत्तई महं।
अदु इंखिणिया उ पाविया' इह संखाय मुणी ण मज्जई ॥ २५. जे यावि अणायगे सिया जे वि य पेसगपेसगे सिया।
इद मोणपयं उवट्टिए णो लज्जे समयं सया चरे । २६. 'सम अण्णयरम्म संजमें" संसुद्धे समणे परिव्वए।
जा आवकहा समाहिए दविए कालमकासि पंडिए । २७. दूर अणुपस्सिया मुणी तीयं धम्ममणागयं तहा।
पुढे फरसेहिं माहणे अवि हण्णू 'समयंसि रीयइ ॥
समता-धम्म-पदं २८. पण्णसमत्ते९ सया जए समता२ धम्ममुदाहरे२ मुणी।
सुहुमे" उ सया अलूसए ‘णो कुज्झे" णो माणि" माहणे ॥ २६. बहुजणणमणम्मि संवुडे 'सव्वद्वेहिं णरे१८ अणिस्सिए ।
'हरए व सया अणाविले' धम्म पादुरकासि कासवं ॥ ३०. बहवे पाणा पुढो सिया पत्तेयं 'समयं समीहिया'२१ । ___जे मोणपयं उवट्ठिए विरई२२ तत्थ अकासि" पंडिए ।।
१. परियत्तती (च)।
व्या० वि०-समतयाः। २. महे (क); चिरे (ख, चू, वृपा)। १३. ° मुदाहरेज्ज (चू)। ३. पातिका (चूपा)।
१४. सुहमे (क)। ४. संखाए (चू)।
१५. कुप्पे (चू)। ५. अणातए (चू)।
१६. व्या०वि०-विभक्तिरहितपदम् -माणी। ६. पेस्सग° (चू)।
१७. कधयंतो ण परं [णु] कोवये (चूपा)। ७. जे (क, ख, वृ)।
१८. सव्वढेसु सदा (च)। ८. समे० (क, ख); समयन्नरम्मि° (चू); १६. हरदे वतुमे [पतुमे ?] अणाउले (च); समयण्णतरम्मि वा सुते (चपा)।
°अणाउरे (चूपा); ° अणाइले (क, चूपा)। ६. जे (क, ख)।
२०. प्रादु° (चू)। १०. समयाधियासए (वृपा, चपा)।
२१. ° उवेहिया (क, वृपा); समियं उवेहाए (च); ११. समत्थे (क, ख); पण्हसमत्थे (चु, वृपा); समिया उवेहिता (चपा)। पण्हसमत्ते (चपा)।
२२. विरयं (क)। १२. समिया (क); समिता (च);
२३. मकासि (चू)।
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