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________________ ६५२ समवाओ एए वुत्ता चउवीसं, भरहे वासम्मि केवली । आगमेस्साण होक्खंति, धम्मतित्थस्स देसगा ॥५॥ २५२. एतेसि णं चउवीसाए तित्थगराणं पुव्वभविया चउवीसं नामधेज्जा भविस्संति', तं जहा सेणिय सुपास उदए, पोट्टिल अणगारे तह दढाऊ य । कत्तिय संखे य तहा, नंद सुनंदे सतए य बोद्धव्वा ॥१॥ देवई च्चेव सच्चइ, तह वासुदेव बलदेव।। रोहिणि सुलसा चेव, तत्तो खलु रेवई चेव ॥२॥ तत्तो हवइ मिगाली, बोद्धव्वे खलु तहा भयाली य। दीवायणे य कण्हे, तत्तो खलु नारए चेव ॥३॥ 'अंबडे दारुमडे य", साई बुद्धे य होइ बोद्धव्वे । 'उस्सप्पिणी आगमेस्साए, तित्थगराणं तु पुत्वभवा" ॥४॥ २५३. एतेसि णं चउवीसाए तित्थगराणं चउवीसं पियरो भविस्संति, चउवीसं मायरो भविस्संति, चउवीसं पढमसीसा भविस्संति, चउवीसं पढमसिस्सिणीओ भविस्संति, चउवीसं पढमभिक्खादा भविस्संति, चउवीसं चेइयरुक्खा भविस्संति ॥ भावि-चक्कवट्टि-पदं २५४. जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे आगमेस्साए उस्सप्पिणीए बारस चक्कवट्टी __ भविस्संति, तं जहासंगहणी-गाहा भरहे य दीहदंते, गूढदंते य सुद्धदंते य । सिरिउत्ते सिरिभूई, सिरिसोमे य सत्तमे ॥१॥ पउमे य महापउमे, विमलवाहणे विपुलवाहणे चेव । रिट्रे बारसमे वुत्ते, आगमेसा . भरहाहिवा ॥२॥ २५५. एएसि णं बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस पियरो भविस्संति, बारस मायरो भविस्संति, बारस इत्थीरयणा भविस्संति ।। भावि-बलदेव-वासुदेव-पदं २५६. जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए नव बलदेव-वासुदेव पियरो भविस्संति, नव वासुदेवमायरो भविस्संति, नव बलदेवमायरो भविस्संति १. होत्था (ख)। २. मिमाली (क); सयाली (क्व)। ३. तत्तो दारुपडिया (क); अंबडे दारुपडे या (ख)। ४. भावीतित्थगराणं णामाई पूवभवियाई (क्व)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003551
Book TitleAngsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1108
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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