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________________ प्रमाणाधिकार निरूपण] [351 दो की संख्या से होता है। अत: दो का दो से गुणा करने पर 4 संख्या हुई / यह प्रथम वर्ग हुआ। चार का चार से गुणा करने पर 16 संख्या हुई, यह दूसरा वर्ग हुआ। फिर 16 को 16 से गुणा करने पर 256 संख्याई, यह तनीय वर्ग हमा। 256 को 256 से गुणा करने पर 65536 संख्या हुई, यह चौथा वर्ग हुप्रा / इस चौथे वर्ग की राशि 65536 को पुन: इसी राशि 65536 से गणित करने पर 4294967296 चार अरब उनीस करोड़ उनचास लाख सड़सठ हजार दो सौ छियानवै राशि पंचम वर्ग की हई।' इस पंचम वर्ग की राशि का उसी से गणा करने पर 18446744073709551616 राशि हुई, यह छठा वर्ग हुअा / इस छठे वर्ग का पूर्वोक्त पंचम वर्ग के साथ गुणा करने पर निष्पन्न राशि जघन्य पद में मनुष्यों की संख्या की बोधक है / यह राशि अंकों में इस प्रकार है-७९२२८१६२ 514264337593543950336 / इन अंकों की संख्या 29 है, अत: 29 अंक प्रमाण राशि से गर्भज मनुष्यों की संख्या कही गई है। ये उनतीस अक कोटाकोटि प्रादि के द्वारा कहा जाना कठिन है, अत: इसका बोध कराने के लिये उक्त संख्या दो गाथाओं द्वारा इस प्रकार कही जा सकती है-- छत्तिन्नि तिनि सुन्न पंचेव य नव य तिन्नि चत्तारि / पंचेव तिणि नव पंच सत्त तिन्नेव तिन्नेव / / चउ छ हो चउ एकको पण दो छक्के क्कगो य अटुव / दो-दो नव सत्तेव य अंकट्ठाणा पराहुत्ता / 2 / उक्त 21 अंकों को इस रीति से बोला जा सकता है सात कोडाकोडी-कोडाकोडी, बानवै लाख कोडाकोडी कोडी, अट्ठाईस हजार कोडाकोडी कोडी, एक सौ कोडाकोडी कोडी, बासठ कोडाकोडी कोडी, इक्यावन लाख कोडाकोडी, बयालीस 1. चत्तारि य कोडिसया अउणतीसं च होंति कोडीओ। अउण्णावन्न लक्खा सत्तट्टो चेव य सहस्सा / 1 दो य सया छण्णउया पंचमदगो समासयो होइ / एयस्स कतो वग्गो छट्टो ओ होई तं बोच्छ 12 // -प्रज्ञापना मलयवृत्ति पत्रांक 28 2. लक्खं कोडाकोडी चउरासी इ भवे सहस्साई। चत्तारि य सत्तट्ठा होंति सया कोडकोडीगं / 3 / चउयाल लक्खाइ कोडीण सत्त चेव य सहस्सा / तिष्णि तया सत्तयरी कोडीण हंति नायच्या / 4 / पंचाणउई लक्खा एकावन्नं भवे सहस्साइं। छसोल सुत्तरसया एसो छ8ो हवइ वग्गो 151 -प्रज्ञापना मलयवृत्ति पत्रांक 28 इन गाथानों में निर्दिष्ट अंकों को 'अंकानां वामतो गति;' के अनुसार विपरीत क्रम से गणना करना तथा प्रागे भी यही नियम जानना चाहिये / / 3. (क) अनुयोगद्वार मलधारीय बत्ति पत्रांक 206 / (ख) छ-ति-ति-सु-पण-नव-ति-च-प-ति--प-स-ति-ति-चउ-छ-दो। च-ए-प-दो-छ-ए-अ-बे-वे-ण-स पढ मक्ख रसंतियाणा।। -प्रज्ञापना मलय वत्ति पत्रांक 281 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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