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________________ मतिज्ञान] [85 (6) गज-किसी राजा को एक बुद्धिमान मंत्री की आवश्यकता थी / अत्यन्त मेधावी एवं श्रौत्पत्तिकी बुद्धि के धनी व्यक्ति की खोज व परीक्षा करने के लिए राजा ने एक बलवान् हाथी को चौराहे पर बाँध दिया और घोषणा करवादी कि-"जो व्यक्ति इस हाथी को तोल देगा उसे बहुत बड़ी वृत्ति दी जायगी।" हाथी का तौल करना साधारण व्यक्ति के वश की बात नहीं थी / धीरे-धीरे लोग वहां से खिसकने लगे। किन्तु कुछ समय पश्चात् एक व्यक्ति वहाँ पाया और उसने सरोवर में नाव डलवाकर हाथी को ले जाकर उस पर चढा दिया। हाथी के वजन से नाव पानी में जितनी डबी, वहाँ पर उस व्यक्ति ने निशान लगा दिया। तत्पश्चात् हाथी को उतारकर नाव में उतने पत्थर भरे, जितने से नाव पूर्व चिह्नित स्थान तक डूबी / उसके बाद पत्थर निकालकर उन्हें तौल लिया। जितना वजन पत्थरों का हुआ, वही तौल हाथी का है, ऐसा राजा को सूचित कर दिया। राजा ने उस व्यक्ति को विलक्षण बुद्धि की प्रशंसा की तथा उसे अपनी मंत्री-परिषद् का प्रधान बना दिया। (10) घयण (भाँड़)-किसी राजा के दरबार में एक भाँड़ रहा करता था। राजा उससे प्रेम किया करता था। वह राजा का मुंहलगा हो गया था। राजा सदैव उसके समक्ष अपनी महारानी की प्रशंसा किया करता था और कहता था कि वह बड़ी हो आज्ञाकारिणी है। किन्तु एक दिन भांड़ ने कह दिया--"महाराज ! रानी स्वार्थवश ऐसा करती हैं। विश्वास न हो तो परीक्षा करके देख लीजिए।" राजा ने भाँड़ के कथनानुसार एक दिन रानी से कहा--"देवी ! मेरी इच्छा है कि मैं दूसरी शादी करलू और उस रानी के गर्भ से जो पुत्र उत्पन्न हो उसे राज्य का उत्तराधिकारी बनाऊं।" रानी ने उत्तर दिया--"महाराज ! दूसरा विवाह आप भले हो करलें किन्तु राज्याधिकारी तो परम्परा के अनुसार पहला राजकुमार ही हो सकता है।" राजा भाँड़ की बात को ठीक समझकर हँस पड़ा। र ने हँसने का कारण पूछा तो राजा ने भाँड़ की बात कह दी। रानी को यह जानकर बड़ा क्रोध आया। उसने उसी समय राजा के द्वारा भाँड़ को देश-निकाले की आज्ञा दिलवा दी। देश-परित्याग की आज्ञा में रानी का हाथ जानकर भाँड़ ने बहुत से जूतों की एक गठरी बाँधी और उसे मस्तक पर रखकर रानी के दर्शनार्थ उनके भवन पर जा पहुँचा / रानी ने आश्चर्यपूर्वक पूछा-"सिर पर यह क्या उठा रखा है ?" भाँड़ ने उत्तर दिया-'महारानी जी ! इस गठरी में जूतों के जोड़े हैं / इनको पहन कर जिन-जिन देशों में जा सकू गा, उन-उन देशों तक आपका अपयश फैला दूंगा।" भाँड़ की यह बात सुनकर रानी घबरा गई और देश-परित्याग के आदेश को वापिस ले लिया गया / भाँड अपनी औत्पत्तिकी बुद्धि के प्रयोग से सानन्द वहीं रहने लगा। (11) गोलक (लाख की गोली)-किसी बालक ने खेलते हुए कौतूहलवश लाख की एक गोली नाक में डाल ली। गोली अन्दर जाकर श्वास की नली में अटक गई और बच्चे को सांस लेने में रुकावट होने के कारण तकलीफ होने लगी। उसके माता-पिता बहत घबराये। इतने में। वहाँ से निकला और उसने समग्र वृत्तान्त सुनकर उपाय ढूढ़ निकला। एक बारीक लोह-शलाका मंगवाई गई और सुनार ने उसके अग्रभाग को गरम करके बड़ी सावधानी से बालक की नाक में - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003499
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorMadhukarmuni, Kamla Jain, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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