________________ परिशिष्ट 3 : गाथानुक्रमणिका] [709 12 20 47 एस अग्गी य वाऊ य 15 एस धम्मे 22 एसणासमिनो 5 एसा अजीवविभत्ती 43 एसा खलु लेसाणं 53 एसा तिरियनराणं 46 एसा ने रइयाणं 62 एसा सामायारी एसो हु सो उग्गतवो एसो बहिरंग तवो 33 एहि ता भुजिमो ~ ~ 9 or 9 0 90 0 min m m n o mr Wom KKKA 0 5 60MM GM प्रोमोयरणं पंचहा प्रोहिनाणसुए बुद्ध __ोहोवहोवग्गहियं mr r Mmm rrrrrow एयं सिणाणं एरिसे संपयग्गंमि एवमदीणवं भिक्ख एवमावट्टजोणीसु एवमेव वयं एवुग्गदंते वि महातवोधणे एवं अभित्थुगंतो एवं करंति एवं करंति एवं गुणसमाउत्ता एवं च चिंतइत्ताणं एवं जियं सपेहाए एवं तवं तु एवं तु संजयस्सावि एवं तु संसए एवं तु संसए एवं ते कमसो एवं ते राम-केसवा एवं थुणित्ताण एवं धम्म अकाऊण एवं धम्म पि एवं धम्म विउक्कम्म एवं नाणेणं एवं भवसंसारे एवं माणुस्सगा एवं लग्गति दुम्मेहा एवं लोए पलितमि एवं विणयजुत्तस्स एवं वुत्तो नरिंदो सो एवं समुट्टियो भिक्खू एवं स संकप्पविकप्पणासु एवं सिक्खासमावष्ण एवं से विजयघोसे एवं सो अम्मापियरं एविदियत्था एवरगदंते mx و a ww 213 ت 210 مع ل سلع 27 कणकुंडगं चइत्ताणं 2058 कप्पं न इच्छिज्ज 214 कप्पाईया उजे देवा 21 कप्पासटुिंमि 15 कप्पोवगा बारसहा 64 कम्मसंगेहिं संमूढा 15 कम्माणं तु पहाणाए 12 कम्मा नियाणपयडा कंदप्पकुक्कुयाई 43 कंदप्पमाभियोगं च 23 कम्मुणा बंभणो होइ 13 कयरे प्रागच्छइ 16 82 कयरे तुम इय अदंसणिज्जे 32 107 करकंडू कलिगेसु 5 24 कलहडमरवज्जिए 25 4. कस्स अट्ठा इमे पाणा 16 86 कसाया अग्गिणो वुत्ता 32 100 कसिणं पि जो इमं लोगं 20 53 कहं चरे भिक्खू ل rur لل ری 46 ~ 22 23 16 53 12 40 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org