________________ समर्पण जिनका जीवन अध्यात्मसाधना से अनुपारिगत था, जिनका व्यक्तित्व संयमाराधना से समन्वित था, जिन्होंमे धर्म के विराटरूप का बोध कराया, जिन्होंने आखीवन निर्झन्थ श्रमणपरम्परा का प्रचार-प्रसार किया, आज भो संघ जिनके ज्ञान-वैराग्यमय विचारों से उपकृत है, जिनको शिष्यामुशिष्य परंपरा विशाल विराटरूप में प्रवर्तमान है, उन महामहिम, आदरणीय, भास्पद प्रमशिरोमणि आचार्यश्री भूधरजी महाराज के कर-कमलों में -मधुकर मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org