________________ 424] [वशवकालिकसूत्र 72 68 78 70 or U 543 548 546 471 490 545 77 is जया चयइ संजोगं जया जीवमजीवे य जया जोगे निरुभित्ता जया धुणइ कम्मरयं जया निविदए भोए जया पुण्णं च पावं च जया मुंडे भवित्ताणं जया य चयई धम्म जया य थेरओ होइ जया य पूइमो होइ जया य माणिमो होइ जया य वंदिमो होइ जया लोगमलोगं च जया संवरमुक्किट्ठ जया सव्वत्तगं नाणं जरा जाव न पीलेइ जस्संतिए धम्मपयाई सिक्खे जस्सेरिसा जोग जिइंदियस्स जस्सेवमप्पाउ हवेज्ज निच्छिनो जहा कुक्कुडपोयस्स जहा दुमस्स पुप्फेसु जहा निसंते तवणऽच्चिमाली जहा ससी कोमुइजोगजुत्ते जहाऽऽहियग्गी जलणं नमसे जं जाणेज्ज चिराधोयं जंपि वत्थं व पायं वा तंपि जंपि वत्थं व पायं वा न ते जं भवे भत्तपाणं तु जाइं चत्तारिऽभोज्जाई जाइमंता इमे रुक्खा जाई-मरणाप्रो मुच्चइ जाए सद्धाए निक्खंतो जाणंतु ता इमे समणा जायतेयं न इच्छंति जा य सच्चा प्रवत्तव्वा / Error ur xx 6 to 6 mo जावंति लोए पाणा 272 जिणवयणरए अतितिणे 518 जुवंगवेत्ति णं बूया 356 जे पायरिय-उवज्झायाणं 480 जेण बंधं वहं घोरं जे न वंदे, न से कुप्पे 243 जे नियागं ममायंति जे माणिया सयय माणयंति 504 जे य कंते पिए भोए जे य चंडे मिए थद्ध जे यावि चंडे मइ-इड्डि-गारवे जे यावि नागं डहरेत्ति नच्चा जे यावि मंदेत्ति गुरु विदित्ता जोगं च समणधम्मम्मि जो जीवे वि न याणाति जो जीवे वि वियाणति जो पब्वयं सिरसा भेत्तुमिच्छे जो पावगं जलियमवक्कमेज्जा जो पुवरत्तावरत्तकाले 571 जो सहइ हु गामकंटए णाण-दसण-संपन्न 380 तो कारणमुप्पन्न 216 तणरुक्खं न छिदेज्जा 398 तत्तो वि से चइत्ताणं तत्थ से चिट्ठमाणस्स 109 तत्थ से भुजमाणस्स 167 तत्थिमं पढमं ठाणं 271 तत्थेव पडिले हेज्ज 107 तम्हा असण-पाणाई 312 तम्हा प्रायारपरक्कमेण 563 तम्हा एयं वियाणित्ता पाउ. (त. च.) 264 तम्हा एवं वियाणित्ता"तसकाय. (तृ. च.)३०८ तम्हा एयं वियाणित्ता "तेउ. (तृ. च.) 268 तम्हा एयं वियाणित्ता पुढवि. (तृ. च.) 261 तम्हा एयं वियाणित्ता "वज्जए (तृ. च.) 63 574 457 558 441 466 261 462 189 282 301 141 306 362 520 448 247 265 333 لم ل لله Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org