________________ [423 424 425 427 31 330 415 366 318 568 502 104 प्रथम परिशिष्ट : दशवकालिकसूत्र का सूत्रानुक्रम] उप्पलं पउमं वावि सम्मद्दिया (च.च.) 229 उवसमेण हणे कोहं 426 उवहिम्मि अमुच्छिए अगढिए ऊसगतेण हत्थेण एएणऽन्नेण अट्ठण 344 एगंतमवक्कमित्ता अचित्तं 194 एगंतमवक्कमित्ता अच्चित्तं 166 समेए समणा मुत्ता एयं च अट्ठमन्नं वा 335 एयं च दोसं दळूणं अणुमायं 262 एयं च दोसं दळूणं सव्वाहारं 288 एयारिसे महादोसे 182 एलगं दारगं साणं एवं आयारपरक्कमेण 563 पा. एवं करेंति संबुद्धा एवं तु अगुणप्पेही एवं तु गुणप्पेही एवं धम्मस्स विणो मूलं एवमाई उ जा भासा 338 एवमेयाणि जाणित्ता 404 प्रोगाह इत्ता चलइत्ता 113 पा. प्रोवायं विसमं खाणु कण्णसोक्खेसु सद्देसु 414 पा. कपणसोक्खेहि सद्देहि 414 कयराइं अट्ठसुहमाइं? कयरा खलु सा छज्जीवणिया+ कयरे खलु ते थेरेहिं भगवतेहिं+ 508 कविट्ठ माउलिंगं च 236 कह चरे ? कहं चिट्ठ? कहं नु कुज्जा सामण्णं ? कंदं मूलं पलंब वा 183 कंसेसु कंसपाएसु कालं छंदोवयारं च 488 कालेण निक्खमे भिक्खू 217 किं पुण जे सुयग्गाही 484 कि मे परो पासइ ? किं व अप्पा ? 257 कुक्कुसगतेण हत्थेण कोहं माणं च मायं च कोहो पीई पणासेइ कोहो य माणो य अणिग्गहीया खवित्ता पुवकम्माई खति अप्पाणममोहदंसिणो खुहं पिवासं दुस्सेज्ज गणेमु न चिट्ठज्जा गंभीरविजया एए गिहिणो वेयावडियं जा य गिहिणो वेयावडियं न कुज्जा गुणेहिं साहू, अगुणेहऽसाहू गुरुमिह सययं पडियरिय गुम्विणीए उवनत्थं गेरुयगतेण हत्थेण गोयरग्ग-पविट्ठस्स गोयरग्ग-पविट्ठो उ न " गोयरग्ग-पविट्ठो उ वच्च मुत्तं न चउण्हं खलु भासाणं चउम्विहा खलु पायारसमाहीx चउविहा खलु तवसमाही x चउव्विहा खलु विणयसमाहीx चउव्विहा खलु सुयसमाहीx चत्वारि वमे सया कसाए चित्तभित्ति न निझाए चित्तमंतमचित्तं वा चलियं तु पवक्खामि जइ तं काहिसि भावं जत्थ पुप्फाइं बीयाई जत्थेव पासे कइ दुप्पउत्तं जयं चरे जयं चिट्ठ जया अोहावियो होइ जया कम्म खवित्ताणं जया गई बहुविहं 125 316 221 101 517 515 511 513 526 442 276 402 14 573 544 572 x इस चिह्न से अंकित सूत्र गद्यपाठात्मक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org