________________ नवमं अज्झयणं : विरणय-समाही नौवाँ अध्ययन : विनय-समाधि पढमो उद्दसो: प्रथम उद्देशक अविनीत साधक द्वारा की गई गुरु-पाशातना के दुष्परिणाम 452. थंभा व कोहा व मयप्पमाया गुरुस्सगासे विणयं न सिक्खे। सो चेव उ तस्स अभूइभावो फलं व कोयस्स वहाय होइ // 1 // 453. जे यावि मंदेत्ति गुरु विइत्ता डहरे इमे + अप्पसुए ति नच्चा। होलंति मिच्छं पडिवज्जमाणा करेंति प्रासायण ते गुरूणं // 2 // 454. पगईए मंदा वि भवंति एगे डहरा वि य जे सुयबुद्धोववेया। आयारमंता गुणसुट्टियप्पा जे होलिया सिहिरिव भास कुज्जा // 3 // 455. जे यावि नागं डहरे = ति नच्चा आसायए से अहियाय होइ।। ____ एवाऽऽयरियं पि हु हीलयंतो नियच्छई जाइपहं खु मंदे // 4 // 456. प्रासीविसो यावि परं सुरुढो कि जीवनासाओ परं नु कुज्जा ? आयरियपाया पुण अप्पसन्ना अबोहि-प्रासायण नत्थि मोक्खो // // 457. जो पावगं जलियमवक्कमेज्जा आसीविसं वा वि हु कोवएज्जा। जो वा विसं खायइ जीवियट्ठी एसोवमाऽऽसायणया गुरूणं // 6 // 458. सिया हु से पावय नो डहेज्जा, प्रासीविसो वा कुविओ न मक्खे / सिया विसं हालहलं न मारे, न यावि मोक्खो गुरुहीलणाए // 7 // 459. जो पब्वयं सिरसा भेत्तुमिच्छे सुत्तं व सोहं पडिबोहएज्जा। जो था दए सत्तिअग्गे पहारं, एसोवमाऽऽसायणया गुरूणं // 8 // 460. सिया हु सीसेण गिरि पिभिदे, सिया हु सोहो कुवित्रो न भक्खे / सिया न भिदेज्ज व सत्तिअगं, न यावि मोक्खो गुरुहीलणाए / / 9 / / 461. आयरियपाया पुण अप्पसन्ना प्रबोहि-आसायण नस्थि मोक्खो। तम्हा अणाबाह-सुहाभिकंखी गुरुप्पसायाभिमुहो रमेज्जा // 10 // पाठान्तर--* मंदत्ति / +अप्पसुग्र त्ति / = डहरं ति / 卐नासाउ। www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only