________________ [दशवकालिकसूत्र क्रम नाम अर्थ अनाचार का कारण 16. सम्पृच्छन गृहस्थों से सावध प्रश्न करना, पूछताछ करना पाप का अनुमोदन 17. देहप्रलोकन दर्पण आदि में मुख शरीरादि देखना विभूषा, अहंकार, ब्रह्मचर्य विघात 18. अष्टापद शतरंज खेलना अदत्त का ग्रहण, लोकापवाद 19. नालिका एक प्रकार का जूआ खेलना 20. छत्रधारण छाता लगाकर चलना अहंकार, लोकापवाद 21. चिकित्मा सावध उपचार कराना हिंसा, सूत्र और अर्थ की हानि 22. उपानह पहनना जूते मोजे, खड़ाऊँ अादि पहनना गर्व, प्रारम्भ आदि 23. अग्निसमारम्भ आग जलाना, तापना आदि जीवहिंसा 24. शय्यातरपिण्ड वसतिदाता का आहार लेना एपणादोष 25. प्रासन्दी का उपयोग लचीली स्प्रिगदार कुर्सी आदि का उपयोग करना छिद्रस्थ जीवों की विराधना की सम्भावना 26. पर्यक का उपयोग माद पलंग, ढोलिया, स्प्रिगदार ढीले खाट आदि का उपयोग छिद्रस्थ जीवों की विराधना तथा ब्रह्मचर्यभंग की सम्भावना 27. गृहिनिपद्या ब्रह्मचर्य में आशंका ग्रादि दोप गृहस्थ के घर में बैठना, गृहान्तर में (अकारण) बैठना 28. गात्र उद्वर्तना शरीर पर पीठी, उबटन आदि लगाना, मालिश आदि कराना विभूषा 29. गृहि-वैयावृत्त्य गहस्थों की शारीरिक सेवा अधिकरण, आसक्ति 30. आजीववत्तिता शिल्प आदि से आजीविका करना आसक्ति, परिग्रह 31. तप्तानिवृतभोजित्व पूर्णत: शस्त्रपरिणत (अनिर्वृत) आहार- पानी लेना जीवहिंसा 32. पातुरस्मरण या मातुर-शरण रुग्ण होने पर पूर्व कुटुम्बियों का या पूर्वभक्त- दीक्षा त्याग की सम्भावना, भोगों का स्मरण या चिकित्सालय की शरण संयम से विचलितता लेना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org