________________ प्रकाशकीय श्री जैनागमग्रन्थमाला के 24 वें ग्रन्थ के रूप में आवश्यक सूय पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। आवश्यकसूत्र धर्म-क्रिया से सम्बद्ध है और प्रत्येक मुमुक्षु साधक के लिए सदैव उपयोगी एवं आवश्यक है / इस सूत्र का सम्पादन एवं अनुवाद अध्यात्मयोगिनी परमविदुषी महासतीजी श्री उमरावकुवरजी म० अर्चना' को पण्डिता शिष्या श्री सप्रभाजी म० 'सुधा' सिद्धान्ताचार्य, साहित्यरत्न, एम० ए० ने परिश्रमपूर्वक किया है। अतएव हम महासतीजी के इस महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए प्राभारी हैं। महासतीजी ने इस संस्करण को सर्वसाधारण के लिए उपयोगी बनाने का पूर्ण रूप से प्रयास किया है ! विशिष्ट शब्दों का अर्थ और भावार्थ देकर अनुवाद को अलंकृत किया है। __साहित्यवाचस्पति विद्वद्वर मुनि श्री देवेन्द्रमुनिजी म० शास्त्री ने प्रस्तुत सूत्र की विशद प्रस्तावना लिख कर इसे अधिक उपयोगी बना दिया है। प्रस्तावना में आपने विस्तार के साथ आवश्यकों के स्वरूप पर प्रकाश डाला है और विभिन्न धर्मो सम्बन्धी आवश्यकक्रिया की तुलना भी प्रस्तुत की है। पच्चीसवें ग्रन्थ के रूप में जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति प्रेस में दे दी गई है। इस प्रकार समिति का प्रकाशन कार्य अग्रसर हो रहा है। प्रागमप्रेमी सज्जन इन पागमों के प्रचार-प्रसार में सहयोग दें, यही निवेदन है। रतनचंद मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष जतनराज प्रधानमन्त्री चांदमल विनायकिया मन्त्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org