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________________ दशाश्रुतस्कन्ध प्रथम दशा बीस असमाधिस्थान सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खाय-- इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं वीसं असमाहिट्ठाणा पण्णत्ता। प.-कयरे खलु ते थेरेहि भगवंतेहि वीसं असमाहिट्ठाणा पण्णता ? उ०-इमे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहि वोसं असमाहिट्ठाणा पण्णता, तं जहा (1) दवदवचारी यावि भवइ, (2) अप्पमज्जियचारी यावि भवइ, (3) दुप्पमज्जियचारी यावि भवइ, (4) अतिरित्त-सेज्जासणिए यावि भवइ, (5) राइणिअ-परिभासी यावि भवइ, (6) थेरोवघाइए यावि भवइ, (7) भूओवघाइए यावि भवइ, (8) संजलणे यावि भवइ, (9) कोहणे यावि भवइ, (10) पिट्टिमंसिए यावि भवइ, (11) अभिक्खणं-अभिक्खणं ओहारइत्ता भवइ, (12) णवाणं अहिगरणाणं अणुप्पण्णाणं उप्पाइत्ता भवइ, (13) पोराणाणं अहिगरणाणं खामिअविउसवियाणं पुणो उदीरेत्ता भवइ, (14) अकाले सज्झायकारए यावि भवइ, (15) ससरक्खपाणिपाए यावि भवइ, (16) सद्दकरे यावि भवइ, (17) झंझकरे यावि भवइ, (18) कलहकरे यावि भवइ, (19) सूरप्पमाण-भोई यावि भवइ, (20) एसणाए असमिए यावि भवइ / ' एते खलु ते थेरेहि भगवंतेहिं वीसं असमाहिट्ठाणा पण्णत्ता-ति बेमि // हे आयुष्मन् ! मैंने सुना है--उन निर्वाणप्राप्त भगवान् महावीर ने ऐसा कहा है-इस पार्हत् प्रवचन में निश्चय से स्थविर भगवन्तों ने बीस असमाधिस्थान कहे हैं। प्रश्न-स्थविर भगवन्तों ने वे कौन से बीस असमाधिस्थान कहे हैं ? उत्तर-स्थविर भगवन्तों ने बीस असमाधिस्थान इस प्रकार कहे हैं / यथा (1) अतिशीघ्र चलना / (2) प्रमार्जन करे बिना (अंधकार में) चलना / (3) उपेक्षाभाव से प्रमार्जन करना। (4) अतिरिक्त शय्या आसन रखना / (5) रत्नाधिक के सामने परिभाषण करना। (6) स्थविरों का उपघात करना। (7) पृथ्वी आदि का घात करना। (8) क्रोध भाव में जलना / (9) क्रोध करना / (10) पीठ पीछे निन्दा करना। (11) बार-बार निश्चयात्मक भाषा बोलना / (12) नवीन अनुत्पन्न कलहों को उत्पन्न करना / (13) क्षमापना द्वारा उपशान्त पुराने क्लेश को फिर से उभारना / (14) अकाल में स्वाध्याय करना / (15) सचित्त रज से युक्त हाथ 1. सम. सम. 20 सु. 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003495
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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